ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News बिहार मुजफ्फरपुरशहर की लेखिकाओं ने साहित्य को दी नई दिशा

शहर की लेखिकाओं ने साहित्य को दी नई दिशा

यह शहर साहित्य सृजन का गढ़ ही नहीं रहा है बल्कि यहां के लेखन ने राष्ट्रीय साहित्य को प्रभावित किया है। खासकर स्त्री लेखन ने साहित्य को दिशा दी है। यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं कि मुजफ्फरपुर की...

शहर की लेखिकाओं ने साहित्य को दी नई दिशा
अनामिका,मुजफ्फरपुरThu, 20 Sep 2018 02:55 PM
ऐप पर पढ़ें

यह शहर साहित्य सृजन का गढ़ ही नहीं रहा है बल्कि यहां के लेखन ने राष्ट्रीय साहित्य को प्रभावित किया है। खासकर स्त्री लेखन ने साहित्य को दिशा दी है। यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं कि मुजफ्फरपुर की लेखिकाओं की वजह से राष्ट्रीय स्तर के साहित्य में बड़ा बदलाव हुआ है। हिन्दी साहित्य की सभी विधा चाहे वह कविता हो या कहानी, सभी में इस शहर की लेखिकाओं ने नये प्रयोग किए और साहित्य को नया आयाम दिया।

कई नाम हैं। शांति सुमन, अनामिका, पूनम, पंखुड़ी सिन्हा...फेहरिस्त लंबी है। ये सभी रचनात्मक साहित्य के बदलाव की प्रतीक हैं। वरिष्ठ लेखिका पद्मश्रीउषा किरण खान ने बुधवार को स्त्री लेखन के साथ साहित्य के विभिन्न आयाम पर ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में ये बातें कहीं।

उन्होंने ने अपने ही शहर में साहित्यकारों को उपयुक्त मंच नहीं मिलने को दुखद बताया। कहा कि यहां की लेखिकाएं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हैं मगर इसी शहर में उन्हें वह मंच नहीं मिल रहा है। साहित्य सृजन के गढ़ में इस तरह की संगठनात्मकता की कमी है। कई स्त्री हैं जो घर में बैठ कर लिख रही हैं मगर उन्हें नहीं मालूम कि इसे बाहर कैसे लाना है। हालात बदलने के लिए ्त्रिरयों को आगे आना होगा। बदलते समय में साहित्य और सोशल साइट के कारण साहित्य के बदलते स्वरूप पर उन्होंने कहा कि साहित्य हमेशा से अल्पसंख्यक विषय रहा हैं।

साहित्य में कई खेमे भी हैं मगर इन सबके बावजूद साहित्य कभी खत्म या लोगों से दूर नहीं हो सकता। सोशल साइट्स के सकारात्मक कम और नकारात्मक प्रभाव अधिक हैं। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी लिख रही है मगर पढ़ कम रही है। साहित्य में हड़बड़ी नहीं होती है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें