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Hindi News बिहार मुजफ्फरपुरमिथिला पेंटिंग से सजे सूप-दउरा में अर्घ्य देंगी छठ व्रती

मिथिला पेंटिंग से सजे सूप-दउरा में अर्घ्य देंगी छठ व्रती

लोक आस्था का महापर्व छठ आगामी 10 नवंबर को मनाया जाएगा। इस महापर्व में बांस से बने सूप, दउरा व डगरा का बहुत महत्व है। व्रती इसमें ठेकुआ, फल-फूल व...

लोक आस्था का महापर्व छठ आगामी 10 नवंबर को मनाया जाएगा। इस महापर्व में बांस से बने सूप, दउरा व डगरा का बहुत महत्व है। व्रती इसमें ठेकुआ, फल-फूल व...
1/ 2लोक आस्था का महापर्व छठ आगामी 10 नवंबर को मनाया जाएगा। इस महापर्व में बांस से बने सूप, दउरा व डगरा का बहुत महत्व है। व्रती इसमें ठेकुआ, फल-फूल व...
लोक आस्था का महापर्व छठ आगामी 10 नवंबर को मनाया जाएगा। इस महापर्व में बांस से बने सूप, दउरा व डगरा का बहुत महत्व है। व्रती इसमें ठेकुआ, फल-फूल व...
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हिन्दुस्तान टीम,मुजफ्फरपुरSun, 24 Oct 2021 03:21 AM
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मुजफ्फरपुर। कार्यालय संवाददाता

लोक आस्था का महापर्व छठ आगामी 10 नवंबर को मनाया जाएगा। इस महापर्व में बांस से बने सूप, दउरा व डगरा का बहुत महत्व है। व्रती इसमें ठेकुआ, फल-फूल व अन्य पूजा सामग्रियों को रखकर अर्घ्य देती हैं। बदलते ट्रेंड के साथ अब सूप, दउरा व डगरा पर भी नयापन का रंग चढ़ता जा रहा है। इस बार छठ को लेकर सूप, दउरा व डगरा को मिथिला पेंटिंग से सजाया जा रहा है।

मधुबनी व दरभंगा में तैयार मिथिला पेंटिंग से सजे सूप, दउरा व डगरा मुजफ्फरपुर भेजे जा रहे हैं, जो लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। इस कला से जुड़ीं महिलाएं बांस के सूप के दोनों ओर मधुबनी पेंटिंग शैली में भगवान सूर्य की तस्वीर बना रही हैं। दउरा पर भी मिथिला की पेंटिंग की कलाकारी लोगों का दिल जीत रही है। इस तरह के सूप व डगरा की कीमत कम से कम 250 रुपये है, जबकि दउरा 350 रुपये तक बिक रहा है। आकार के अनुसार भी इसके दाम लिए जा रहे हैं। मुजफ्फरपुर की इप्सा पाठक इस मधुबनी पेंटिंग को प्रोत्साहित कर रही हैं।

मिथिला पेंटिंग करने वाली अंजू कुमारी बताती हैं कि इस बार बड़ी संख्या में लोग मधुबनी पेंटिंग से सजे सूप, दउरा व डगरा की ओर आकर्षित हुए हैं। मेरे साथ करीब आठ महिलाएं इससे जुड़ी हुई हैं। दरभंगा के श्याम मंदिर के पास इसे तैयार किया जा रहा है। विभा, गीता, सुनीता, मंजू व सुलेखा ने बताया कि डेढ़ साल से मिथिला पेंटिंग कर स्वरोजगार से जुड़ी हुई हूं। इससे परिवार को आर्थिक मदद मिल जाती है। साथ ही हमारे हुनर को भी पहचान मिल रही है। हमारी कारीगरी के अनुसार हमें मेहनताना मिल जाता है। इससे हम छोटी-छोटी जरूरतों को खुद से पूरा कर पाती हैं। इसमें परिवार का भी भरपूर सहयोग व प्रोत्साहन मिल रहा है। साथ ही समय का भी अच्छा सदुपयोग हो जाता है। अधिक से अधिक लोगों तक मिथिला पेंटिंग से सजे दउरा, डगरा व सूप पहुंच सके, इसकी कोशिश की जा रही है। इसके जरिए पर्व और ज्यादा आकर्षक बनाने की तैयारी है।

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