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महंगाई से गुम हो रही सराफा बाजार की रौनक

मुजफ्फरपुर शहर का सराफा बाजार (पुरानी बाजार) इसकी शान है। स्वर्णाभूषण की खरीद-बिक्री को यहां आसपास के जिलों से भी कारोबारी व ग्राहक आते हें। वैसे तो यहां सालभर ग्राहकों की भीड़ रहती है, लेकिन त्योहार...

मुजफ्फरपुर शहर का सराफा बाजार (पुरानी बाजार) इसकी शान है। स्वर्णाभूषण की खरीद-बिक्री को यहां आसपास के जिलों से भी कारोबारी व ग्राहक आते हें। वैसे तो यहां सालभर ग्राहकों की भीड़ रहती है, लेकिन त्योहार...
1/ 2मुजफ्फरपुर शहर का सराफा बाजार (पुरानी बाजार) इसकी शान है। स्वर्णाभूषण की खरीद-बिक्री को यहां आसपास के जिलों से भी कारोबारी व ग्राहक आते हें। वैसे तो यहां सालभर ग्राहकों की भीड़ रहती है, लेकिन त्योहार...
मुजफ्फरपुर शहर का सराफा बाजार (पुरानी बाजार) इसकी शान है। स्वर्णाभूषण की खरीद-बिक्री को यहां आसपास के जिलों से भी कारोबारी व ग्राहक आते हें। वैसे तो यहां सालभर ग्राहकों की भीड़ रहती है, लेकिन त्योहार...
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संजय कुमार,मुजफ्फरपुरMon, 02 Sep 2019 06:23 PM
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मुजफ्फरपुर शहर का सराफा बाजार (पुरानी बाजार) इसकी शान है। स्वर्णाभूषण की खरीद-बिक्री को यहां आसपास के जिलों से भी कारोबारी व ग्राहक आते हें। वैसे तो यहां सालभर ग्राहकों की भीड़ रहती है, लेकिन त्योहार व लग्न में रौनक बढ़ जाती है। वर्तमान में महंगाई, मंदी की आहट वअसुविधाओं से कारोबारी परेशान हैं। पुरानी बाजार की ख्याति केवल मुजफ्फरपुर ही नहीं बल्कि उत्तर बिहार के सबसे बड़े सराफा बाजार में रूप है। इस बाजार का इतिहास 75 वर्ष पुराना है। लग्न के महीनों में दो करोड़ का प्रतिदिन का व्यवसाय होता है। इस बाजार में छोटे-बड़े मिलाकर पांच सौ से अधिक कारोबारी हैं जबकि तीन सौ से अधिक कारीगर काम करते हैं। इनमें मुम्बई व कोलकाता के भी कारीगर हैं। यहां से पांच हजार से अधिक परिवारों का जीवन-यापन चलता है।

पूर्व के दशकों में यहां से उत्तर बिहार के मोतिहारी, बेतिया, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, बेगूसराय, पूर्णिया, वैशाली की पटना सीमा तक के ग्राहक आभूषण की खरीदारी करने पहुंचते थे। उस जमाने में पटना जाने के लिए स्टीमर ही सहारा था। तब ग्राहक मुजफ्फरपुर आना आसान समझते थे। समय के साथ बाजार का स्वरूप भी बदला है। हर जगह आभूषण की दुकानें खुलने लगी हैं। यातायात की सुविधाएं बढ़ी हैं। ब्रांडेड दुकानें खुलने और सोशल मीडिया का चलन बढ़ने से ग्राहकों को मनपसंद आभूषण लेने की सुविधा मिलने लगी है। इस कारण मुजफ्फरपुर के सराफा बाजार के ग्राहकों की भी संख्या में भी गिरावट आई है। इधर, महंगाई व सरकार को अत्यधिक राजस्व देने के बाद भी बाजार में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। बावजूद कारोबारी ग्राहकों को संतुष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। हालांकि, आभूषण कारोबारी मंदी की मार से भी जूझ रहे हैं। इसमें मंझोले कारोबारी ज्यादा परेशान हैं। उन्होंने अब व्यवसाय बदलना शुरू कर दिया है। कोई शृंगार तो कोई जनरल स्टोर की दुकान चलाना शुरू कर दिये हैं।

कारोबारियों की सुरक्षा को खुले पुलिस चौकी:

व्यवसायी राजू कुमार कहते हैं कि पुरानी बाजार बाबा गरीबनाथ मंदिर से विख्यात है। यहां सावन में प्रत्येक सोमवार को जलाभिषेक किया जाता है। पूरे माह में लाखों श्रद्धालु अलग-अलग जगहों से पहलेजाघाट जाकर जल लेते हैं और पैदल चलकर जलाभिषेक के लिए आते हैं। यहां सालभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। सावन में एक महीने प्रशासन की ओर से भी भरपूर सुरक्षा व्यवस्था रहती है, किंतु सावन खत्म होते ही बाजार असुरक्षित एवं सुविधाविहिन हो जाता है। यहां पर स्थायी पुलिस चौकी खुलनी चाहिए ताकि इससे बाजार आने वाले ग्राहकों के साथ कारोबारियों को भी सुरक्षा मिल सके।

1970 में सोना 80 व चांदी तीन रुपये भरी बिकती थी:

1960 में पुरानी बाजार में महज कुछ चुनिंदा विक्रेता थे जिनके यहां जमींदारों का आना-जाना होता था। अखिल भारतीय सराफा संघ के महामंत्री सत्यनारायण प्रसाद सर्राफ कहतें है कि 1970 में सोना 80 रुपये तो चांदी तीन रुपये भरी बिकती थी। उस समय कुछ गिने-चुने ग्राहक आते थे। पुरानी बाजार में एक पुरानी दुकान थी, रज्जू साह की। उस जमाने में प्रतिदिन का व्यवसाय एक लाख तक हो जाता था। उस समय बड़े दुकानों से ही सरकार टैक्स लिया करती थी।

आर्टिफिशियल गहनों की मांग:

पुरानी बाजार में अब आर्टिफिशियल ज्वेलरी की दुकानें भी खुलने लगी हैं। दिन-ब-दिन बढ़ती कीमतों से ग्राहक अब सोने-चांदी की आभूषण की जगह आर्टिफिशियल ज्वेलरी की खरीदने लगे हैं। बाहर से आए कारीगर पलायन के लिए विवश हैं। वैसे में सरकारी स्तर से इन्हें सहयोग व सुरक्षा दी जाये तो वे पुन: व्यवसाय को पटरी पर लाने में सक्षम हो सकते हैं।

पहले की तुलना में सराफा बाजार में दुकानें भले ही बढ़ गई हो, किन्तु सरकारी कर व्यवस्था व महंगाई से कारोबार प्रभावित हुआ है। व्यवसायी परिवार चलाने को वैकल्पिक व्यवस्था की तलाश कर रहे हैं। सरकार अगर कोई ठोस कदम नहीं उठाती तो यह व्यापार बस पूंजीपतियों तक सिमट जाएगा।

-राकेश कुमार जायसवाल, आभूषण दुकानदार

कई देशों में वर्तमान समय में निवेश के रूप में सोने का भंडारण करना शुरू किया गया है। इससे सोने की कीमत विश्व स्तर पर बढ़ी है। भारत में बैंक अब सोने की जगह गोल्ड बांड बेच रहे हैं जिसे ग्राहक निवेश के रूप में सुरक्षित समझते हैं। कारोबार में मंदी का एक कारण यह भी माना जा रहा है।

-मंजीत कुमार, उपमंत्री, अखिल भारतीय सराफा संघ

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