भगवान के चरणों में समर्पित होने से होता जीव का कल्याण
श्री राम जानकी मंदिर सरहंचिया के प्रांगण में श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को स्वामी राघवेंद्राचार्य महाराज ने कहा कि किसी भी प्रकार से...
श्री राम जानकी मंदिर सरहंचिया के प्रांगण में श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को स्वामी राघवेंद्राचार्य महाराज ने कहा कि किसी भी प्रकार से खुद को भगवान के चरणों में समर्पित कर देने से जीव जगत का कल्याण हो जाता है। गीता के नौवें अध्याय की चर्चा करते हुए कहा कि जो भक्त अनन्य भाव से समर्पित हो जाते हैं उनके योग और क्षेम दोनों के वहन करते हैं। योग का मतलब अप्राप्त वस्तु और क्षेम का मतलब प्राप्त वस्तु की रक्षा से है। पांडव भगवान के चरणों में अनन्य भाव से समर्पित हो गए। उस विषम परिस्थिति में भी भगवान ने उनकी हर तरह से रक्षा की।
उन्होंने कहा कि छह प्रश्नों पर भागवत कथा आधारित है। कल्याण का मार्ग क्या है। मंदिर में जाते हैं तो अनेक मूर्तियां है किसे पूजे किसे छोड़े। वेद यदि कहता है कि भगवान अजन्मा है अनामी है तो फिर दशरथ नंदन श्री राम रघुनाथ कैसे बने। यदि अवतार है तो अवतार कितना। कृष्ण के परमधाम गमन के बाद धर्म कहां गया। इसी पर सात दिन कथा होती है। भागवत कथा में गांव के लोगों के साथ दूर दराज के लोग आ रहे हैं।