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पुराने वाहनों पर प्रतिबंध, ई-वाहनों को बढ़ावा

देश के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शुमार बिहार के तीन शहर को केंद्र सरकार के क्लीन एयर प्रोग्राम में शामिल किया गया है। नवम्बर में शहरों के चुनाव के बाद केंद्र सरकार ने इसकी सूची अब जारी की है। इस...

पुराने वाहनों पर प्रतिबंध, ई-वाहनों को बढ़ावा
हिन्दुस्तान टीम,मुजफ्फरपुरFri, 11 Jan 2019 03:12 PM
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देश के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शुमार बिहार के तीन शहर को केंद्र सरकार के क्लीन एयर प्रोग्राम में शामिल किया गया है। नवम्बर में शहरों के चुनाव के बाद केंद्र सरकार ने इसकी सूची अब जारी की है। इस सूची में शामिल शहरों में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए कई उपाय किए जाएंगे। इसके लिए केंद्र सरकार जिलों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराएगी। इस सूची में राज्य के पटना, गया व मुजफ्फरपुर शहर शामिल हैं। प्रदूषित शहरों के लिए केंद्र सरकार ने जो योजना क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत बनाई है, उसमें वाहन सेक्टर को प्राथमिकता दी गई है।

योजना है कि क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत 10 साल पुराने व अनफीट वाहनों को शहर से बाहर किया जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो इन तीनों शहर के एक लाख से अधिक वाहन प्रचलन से बाहर हो जाएंगे। अब तक कराये गए सर्वे में जो बातें सामने आई हैं, उनके अनुसार पुराने व बड़े वाहन अधिक प्रदूषण फैला रहे हैं। इसलिए यह भी निर्णय किया जाएगा कि बड़े वाहनों को शहरी सीमा में प्रवेश ही नहीं दिया जाए।

इलेक्ट्रीक वाहनों के लिए मिलेगी सब्सिडी: क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत डीजल व पेट्रोल चालित वाहनों की जगह इलेक्ट्रीक वाहनों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया है। योजना है कि इलेक्ट्रीक वाहन खरीदने वालों को सब्सिडी का लाभ दिया जाये, ताकि उसे खरीदने के लिए लोग प्रोत्साहित हों। इस योजना के तहत मुजफ्फरपुर शहर से लगभग 12 हजार ऑटो को बैट्री चालित ई-रिक्शा से रिप्लेस करने की योजना है। हालांकि, इसमें समय लगेगा, लेकिन क्लीन एयर प्रोग्राम में इस योजना को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

कचरा, टायर जलाने पर लगेगा पूर्ण प्रतिबंधि, ढुलाई में एहतियात: प्रोग्राम के तहत शहरी क्षेत्र में सार्वजनिक स्थल पर कचरा व टायर आदि जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की तैयारी है। यदि सार्वजनिक स्थल पर ऐसा करता पकड़ा जाता है तो आरोपित को कठोर दंड देने का प्रावधान किया जाएगा। इसके साथ ही कचरा, कूड़ा, आदि की ढुलाई के लिए भी मापदंड तय किए जाएगे। इसके लिए नगर निगम व खनन विभाग को जवाबदेही दी जाएगी।

खुले में निर्माण सामग्री के भंडारण की अनुमति नहीं : प्रोग्राम के तहत बिना स्थल को ढके निर्माण की मंजूरी नहीं होगी। यहां तक कि खुले में निर्माण सामग्री की ढुलाई व उसका भंडारण भी मना होगा। भवन निर्माण के लिए स्थल को तो ढकना ही होगा, सड़क निर्माण में भी पर्याप्त पानी छिड़कने के बाद ही कार्य शुरू करने की अनुमति मिलेगी। वर्तमान में इन दोनों मामलों में लापरवाही बरती जा रही है। सड़क व भवन निर्माण के कारण उड़ने वाले धूलकण को रोकने की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है।

प्रदूषण में कटौती का लक्ष्य

पर्यावरण मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम के तहत 2024 तक इन शहरों के प्रदूषण में 20-30 फीसदी कमी लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि यह पांच साल की योजना है जो तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। अब तक 40 से भी अधिक शहरों की तरफ से प्रदूषण की रोकथाम के लिए कार्य योजना पेश की जा चुकी है। अगले दो-तीन महीनों में सभी शहरों को यह योजना सौंपनी होगी। इसके बाद नए वित्तीय वर्ष में इन राज्यों को सीपीसीबी के जरिये 150 करोड़ रुपये जारी किए जाएंगे। इनमें से ज्यादातर शहर ऐसे हैं जिनमें अभी प्रदूषण की निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं है। सरकार का मानना है कि निगरानी से आंकड़े सामने आएंगे। उसके बाद प्रदूषण के स्रोत का पता लगाना संभव होगा। स्रोत पता चलने के बाद उसकी रोकथाम के उपाय होंगे।

उत्तर प्रदेश के 15 शहर : कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के जिन 15 शहरों को शामिल किया गया है, उनमें आगरा, इलाहाबाद, अनपारा, बरेली, फिरोजाबाद, गजरौला, गाजियाबाद, झांसी, कानपुर, खुर्जा, लखनऊ, मुरादाबाद, नोएडा, रायबरेली व वाराणसी शामिल हैं।

गया रहा सबसे प्रदूषित, दूसरे स्थान पर मुजफ्फरपुर

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार गया देश का सबसे अधिक प्रदूषित शहर रहा। शहरों में प्रदूषण का स्तर पीएम (पार्टिकल मेटेरियल) 2.5 की हवा में मात्रा से मापा जाता है। पीएम 2.5 हवा में 2.5 माइक्रोन से भी सुक्ष्म कण होते हैं, जो हवा में घुलकर सीधे श्वास के जरिए फेफड़े तक पहुंच जाते हैं। वहां पहुंचकर ये बीमारी फैलाते हैं। गुरुवार को इस पीएम 2.5 की मात्रा गया में सबसे अधिक 385 मापी गई, जबकि मुजफ्फरपुर की हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 351 मापी गई। पटना का एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब होने के कारण प्रदूषण स्तर की माप नहीं हो सकी। एक दिन पहले बुधवार को पटना की हवा में पीएम 2.5 मी मात्रा 308 दर्ज हुई थी।

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