मातृ-शिशु स्वास्थ्य पर काम नहीं होने से पिछड़ा जिला
संस्थागत प्रसव में कमी, प्रसव पूर्व देखभाल और सभी तरह के मातृ शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रमों में जिले में भारी गिरावट आई है। इसके कारण स्वास्थ्य सेवाओं में जिले की रैकिंग काफी नीचे 34वें स्थान पर चली गई...
संस्थागत प्रसव में कमी, प्रसव पूर्व देखभाल और सभी तरह के मातृ शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रमों में जिले में भारी गिरावट आई है। इसके कारण स्वास्थ्य सेवाओं में जिले की रैकिंग काफी नीचे 34वें स्थान पर चली गई है। इसको लेकर बुधवार को सदर अस्पताल स्थित जिला स्वास्थ्य समिति में सभी पीएचसी प्रभारियों व हेल्थ प्रबंधकों की आपात बैठक हुई। इसमें अगले सप्ताह जिले में मुख्यमंत्री के आगमन की संभावना को लेकर तैयारी की विशेष समीक्षा की गई।
सीएस डॉ. एसपी सिंह ने सभी रिपोर्टों को देखकर कड़ी आपत्ति की। कहा कि प्रसव पूर्व देखभाल के रजिस्ट्रेशन में कमी है। नॉर्मल प्रसव के साथ सदर अस्पताल में ऑपरेशन से प्रसव नहीं हो रहा है। इसके कारण ज्यादा असर पड़ा है। घरों पर जाकर कमजोर नवजातों की मॉनिटरिंग नहीं हो रही है। इसके साथ टीकारकण दिवस के दिन महिलाओं के बीच संवाद व बैठक का आयोजन नहीं हो रहा है। इस कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। टीकाकरण में आंशिक सुधार है। आशा कार्यकर्ता व एएनएम के कार्यों की समीक्षा पीएचसी स्तर से नहीं हो रही है। आयुष्मान योजना के तहत मरीजों को भर्ती कर इलाज करना है। लेकिन उसमें कोई सुधार नहीं है। जिला मुख्यालय के आदेश-निर्देश पर कोई काम नहीं होता है। इस दौरान सभी पीएचसी को प्रोजेक्टर के जरिए 34 स्वास्थ्य कार्यक्रमों व उसकी योजना में आई गिरावट की जानकारी दी गई। बैठक में एसीएमओ डॉ. हरेन्द्र आलोक, जिला वैक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल अधिकारी डॉ. सतीश कुमार, डीपीएम बीपी वर्मा, मूल्यांकन अधिकारी जयशंकर प्रसाद, डीसीएम राजकिरन कुमार समेत सभी पीएचसी प्रभारी, हेल्थ प्रबंधक उपस्थित थे।