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बालिका गृहकांड : यातनाओं से मुक्ति के बाद अब स्वरोजगार चाहती पीड़िता

बालिका गृह की यातना से छुटकारा पाने के बाद पीड़ित किशोरियां क्या कर रही होंगी, यह सवाल सबके मन में गाहे-बगाहे अब भी तैरता है। जवाब, सुकून देता है। कई किशोरियां दोगुनी ताकत से अपने फटे भाग्य पर पैबंद...

बालिका गृहकांड : यातनाओं से मुक्ति के बाद अब स्वरोजगार चाहती पीड़िता
मुजफ्फरपुर | कुंदन कुमार Tue, 03 Mar 2020 10:47 AM
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बालिका गृह की यातना से छुटकारा पाने के बाद पीड़ित किशोरियां क्या कर रही होंगी, यह सवाल सबके मन में गाहे-बगाहे अब भी तैरता है। जवाब, सुकून देता है। कई किशोरियां दोगुनी ताकत से अपने फटे भाग्य पर पैबंद लगाने की जद्दोजहद में हैं। इनमें से एक ने तो अपने परिवार की गरीबी दूर करने की न सिर्फ ठानी है, बल्कि अपने कदम भी उस दिशा में बढ़ा दिए हैं। 
बालिका गृह के इस किशोरी की कहानी सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के अनुपालन में सामने आयी है। सुप्रीम कोर्ट ने यातना गृह से आजाद हुई किशोरियों का फॉलोअप करने का निर्देश अधिकारियों को दिया था। इसके बाल संरक्षण इकाई को किशोरियों की सामाजिक व आर्थिक हालत का जायजा लेना था। इसी क्रम में पांच फरवरी को एक पीड़िता का हाल लेने अधिकारी पहुंचे। अधिकारियों ने पाया कि किशोरी को अभी प्रावधान के मुताबिक आर्थिक सहायता नहीं मिली है। उसके मां-बाप इतने गरीब हैं कि उनके लिए अपना पेट भरना भी मुश्किल है। ऐसे में पीड़िता ने बातचीत के बाद अधिकारियों के सामने जो मांग रखी, वह काबिल-ए-तारीफ है। पीड़िता ने अधिकारियों को बताया कि वह मां-बाप की गरीबी दूर करना चाहती है। उसने मुजफ्फरपुर बालिका गृह से मोकामा शिफ्ट होने के दौरान     सिलाई कटाई का प्रशिक्षण लिया। ट्रेनिंग से बेहतर हुनर मिला है। लेकिन मां बाप के पास एक सिलाई मशीन खरीदने के भी पैसे नहीं हैं। किशोरी ने अधिकारियों से एक सिलाई मशीन दिलाने का आग्रह किया, ताकि वह परिवार की गरीबी दूर कर सके।
बाल संरक्षण इकाई ने विभाग को कराया अवगत  
इस फॉलोअप की रिपोर्ट जब बाल संरक्षण इकाई में आयी तो अधिकारी बेचैन हो गए। इकाई के सहायक निदेशक ने समाज कल्याण विभाग को पत्र लिखा है। सहायक निदेशक उदय कुमार झा ने निदेशक से इस मामले में कार्रवाई का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि किशोरी का परिवार इतना गरीब है कि सिलाई मशीन नहीं खरीद सकता, लेकिन मोकामा में प्रशिक्षण के बाद किशोरी इस कार्य में दक्ष हो गई है। सहायक निदेशक ने सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश का हवाला भी दिया है, जिसमें इनके पुनर्वास के लिए कदम उठाने को कहा गया है।  अब पहल विभाग को करनी है। 

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