10 वर्ष बाद कोहरे की मार झेले बिना गुजरा दिसंबर
मौसम के बदले मिजाज ने पिछले कुछ दिनों से कई रिकॉर्ड तोड़े हैं। इसी क्रम में एक और रिकॉर्ड जुड़ा है। पिछले 10 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है कि कोहरे की मार झेले बिना दिसंबर माह गुजर गया। पहली जनवरी को...
मौसम के बदले मिजाज ने पिछले कुछ दिनों से कई रिकॉर्ड तोड़े हैं। इसी क्रम में एक और रिकॉर्ड जुड़ा है। पिछले 10 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है कि कोहरे की मार झेले बिना दिसंबर माह गुजर गया। पहली जनवरी को भी यह स्थिति कायम रही। मौसम विज्ञानिकों के अनुसार, इससे पहले वर्ष 2008 में ऐसा ही मौसम हुआ था। उस समय भी दिसंबर के अंतिम और जनवरी के पहले सप्ताह में कोहरा नहीं हुआ था।
10 साल बाद वैसा ही मौसम हो गया है। पछिया हवा लगातार चलने से कनकनी अपने चरम पर है। शाम में चार से सुबह 10 बजे तक कनकनी का आलम ऐसा होता है कि लोग घरों से निकलने से बचने लगे हैं। लोग वाहनों से चलने में परहेज कर रहे हैं, खास कर दोपहिया गाड़ी से। उधर, कोहरा नहीं होने से रबी की फसलों को काफी नुकसान पहुंच रहा है। खासकर गेहूं और सरसों की फसल को। कोहरा अब तक नहीं होने से उत्तर बिहार में गेहूं की फसल अच्छी नहीं है। गेहूं में विकास नहीं हो रहा है। पौधों में घनापन नहीं आ रहा है। इस कारण गेहूं का पौधा कमजोर स्थिति में है। कुहासा नहीं रहने के कारण सरसो की फसल को भी नुकसान पहुंच रहा है। रात में तापमान में कमी आने और दिन में तापमान में अचानक बढ़ोतरी होने से समय से पहले सरसों के पौधों में फूल निकलने लगे हैं, जबकि पौधों पूरी तरह से विकसित नहीं हो सके हैं।