3185 आंगनबाड़ी केंद्रों पर शौचालय का अभाव
एक ओर सरकार स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर-घर शौचालय बनवा रही है। वहीं, आंगनबाड़ी केन्द्रों में शौचालय के नहीं रहने से बच्चों को बीच में ही पढ़ाई छोड़ घर जाना पड़ता है। यही नहीं, केंद्रों पर पानी की भी...
एक ओर सरकार स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर-घर शौचालय बनवा रही है। वहीं, आंगनबाड़ी केन्द्रों में शौचालय के नहीं रहने से बच्चों को बीच में ही पढ़ाई छोड़ घर जाना पड़ता है। यही नहीं, केंद्रों पर पानी की भी उचित व्यवस्था नहीं है। इस कारण सैकड़ों केंद्रों पर सहायिकाओं को दूर से पानी लाना पड़ रहा है।
जिले के 3185 आंगनबाड़ी केंद्रों पर शौचालय व 2817 पर पेयजल की व्यवस्था का अभाव है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार 3837 आंगनबाड़ी केन्द्रों में मात्र 652 केन्द्रों पर ही शौचालय की व्यवस्था है। वहीं, 1020 केन्द्रों पर पेयजल की सुविधा उपलब्ध है। वहीं, मात्र 1169 आंगनबाड़ी केन्द्रों का ही अपना भवन है। यह हाल तब है जब सीडीपीओ को विभाग की ओर से शौचालय के लिए 12 हजार व पेयजल के लिए 10 हजार की राशि मिलती है। शहरी क्षेत्र में होने के बावजूद मुशहरी सदर परियोजना के 292 केन्द्रों में से मात्र चार में ही शौचालय व पेयजल की व्यवस्था है। सिकंदरपुर स्थित आंगनबाड़ी आठ की सेविका पुष्पा बताती हैं कि बच्चों के लिए दूर से बाल्टी में भरकर पानी लाना पड़ता है। शौचालय के अभाव में शौच के लिए बच्चों को घर भेजना पड़ता है। अधिकारी व स्थानीय पार्षद से कहने पर भी व्यवस्था नहीं हो रही। वहीं, कन्हौली माई स्थान केन्द्र-122 की सेविका सरिता देवी ने बताया कि शौच के लिए बच्चों को बाहर भेजना पड़ता है।
किराये के मकान में चल रहे आंगनबाड़ी केन्द्रों की सेविकाओं को पेयजल व शौचालय की व्यवस्था वाले मकान में केंद्र संचालित करने का आदेश दिया है। वहीं, जो केन्द्र सरकारी भवन में हैं वहां पानी व शौचालय की व्यवस्था करने है। इसका निर्देश दिया जा चुका है। दोनों सुविधाओं के संबंध में रिपोर्ट मांगी गई है। इसके बाद आगे निर्देश दिया जाएगा।
-ललिता कुमारी,
आईसीडीएस कार्यालय, डीपीओ