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नामों के चयन में नियोजित शिक्षकों की अनदेखी

राष्ट्रीय पुरस्कार के नामों के चयन में नियोजित शिक्षकों को दरकिनार किए जाने से जिले के नियोजित शिक्षक आक्रोशित हैं। साथ ही सरकार से अविलंब अपने इस निर्णय में बदलाव किए जाने की मांग की...

नामों के चयन में नियोजित शिक्षकों की अनदेखी
हिन्दुस्तान टीम,मुंगेरMon, 29 Jun 2020 12:17 AM
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राष्ट्रीय पुरस्कार के नामों के चयन में नियोजित शिक्षकों को दरकिनार किए जाने से जिले के नियोजित शिक्षक आक्रोशित हैं। साथ ही सरकार से अविलंब अपने इस निर्णय में बदलाव किए जाने की मांग की है।

इसे लेकर रविवार को जिला टीईटी नियोजित शिक्षकों ने बैठक की। अध्यक्षता संघ के जिलाध्यक्ष राहुल देव सिंह ने की। मौके पर उन्होंने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में बिहार की शिक्षा नीति को राज्य के तमाम सरकारी विद्यालयों में टीईटी एवं अन्य नियोजित शिक्षकों के द्वारा ही बच्चो के बीच क्रियान्वयन किया जा रहा है। बिहार सरकार भी नियोजित शिक्षकों के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक परिवर्तन की बात को स्वीकार करती है। फिर राष्ट्रीय पुरस्कार के चयन से में हमलोगों को क्यों वंचित रखा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि बिहार के तमाम सरकारी विद्यालयों के बदलते परिवेश, विद्यालय में शिक्षा का वातावरण विकसित करना,नामांकन दर मे अप्रत्याशित वृद्धि होना आदि में बिहार के नियोजित शिक्षकों का अहम योगदान है। बताया कि केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने हर साल शिक्षक दिवस के मौके पर शिक्षक राष्ट्रीय पुरस्कार-2020 देने के लिए नोटीफिकेशन जारी किया है। जिसमें राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए शिक्षकों की सूची की मांग की गयी है।

जिसमें बिहार के टीईटी नियोजित शिक्षकों की अनदेखी कर सिर्फ नियमित शिक्षकों को चयन किया गया जो सरकार के विद्वेषपूर्ण मानसिकता को जाहिर करता है। जिलाध्यक्ष ने कहा कि एक तरफ सरकार नियोजित शिक्षकों से तमाम सरकारी कार्यो का निष्पादन करवाती है। चुनाव, जनगणना जैसे महत्वपूर्ण कार्य में नियोजित शिक्षकों से करवाये जाते है। वाबजूद सरकार के इस दोहरे चरित्र से बिहार के तमाम नियोजित शिक्षकों में काफी रोष व्याप्त है।

उन्होंने कहा कि बिहार में नियमित शिक्षकों की संख्या गिनती भर रह गयी है। शिक्षा के क्षेत्र में आनेवाला स्वर्णिम युग नियोजित शिक्षकों का है। इनके प्रतिभा की अनदेखी कर उपेक्षित करना शिक्षकों के लिए मानसिक कुठाराघात है। मौके पर जिला महासचिव प्रभाकर भारती , जिला उपाध्यक्ष विकास कुमार एवं जिला सचिव संदीप कुमार ने भी सरकार के इस भेदभाव नीति की निंदा की है।

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