ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News बिहार मुंगेरशक्तिपीठ चंडिका स्थान का खुला पट

शक्तिपीठ चंडिका स्थान का खुला पट

शक्तिपीठ चंडिका स्थान का पट शनिवार को खोल दिया गया। 18 दिनों बाद गर्भगृह की सफाई कर मंदिर प्रबंधन की ओर से विधिवत मां की पूजा व आरती के बाद श्रद्धालुओं के लिए पट खोल दिया गया। बाढ़ का पानी आ जाने से...

शक्तिपीठ चंडिका स्थान का खुला पट
हिन्दुस्तान टीम,मुंगेरSun, 13 Oct 2019 12:40 AM
ऐप पर पढ़ें

शक्तिपीठ चंडिका स्थान का पट शनिवार को खोल दिया गया। 18 दिनों बाद गर्भगृह की सफाई कर मंदिर प्रबंधन की ओर से विधिवत मां की पूजा व आरती के बाद श्रद्धालुओं के लिए पट खोल दिया गया। बाढ़ का पानी आ जाने से गर्भगृह का पट बंद कर दिया गया था। नवरात्र में भी गर्भगृह में श्रद्धालु पूजा नहीं कर पाए थे।

चंडिका स्थान में पिछले एक माह से बाढ़ का पानी था। 25 सितंबर को मंदिर के अंदर चार से पांच फीट पानी आ जाने से चंडिका स्थान न्यास समिति ने गर्भगृह का पट बंद करने के साथ ही मंदिर के मुख्य गेट को भी बंद कर दिया था। प्रशासन व मंदिर समिति ने सुरक्षा को लेकर नवरात्र में भी पट नहीं खोलने का निर्णय लिया। नवरात्र में श्रद्धालुओं ने मुख्य गेट पर ही पूजा की। नवरात्र में शक्तिपीठ में चार फीट से अधिक पानी रहने के कारण पहली बार पट बंद किया गया था। पट खुलने के बाद चंडिका स्थान में चहल-पहल बढ़ गयी है। मंदिर परिसर में फिर से दुकानें सजने लगी है। पट खुलने की जानकारी नहीं रहने से शनिवार को भक्तों की संख्या कम रही।

दूर होती है आंखों की पीड़ा : मुंगेर जिला मुख्यालय से महज 2 किलोमीटर दूर स्थित है देश के 52 शक्तिपीठों में एक माँ चण्डिका स्थान। यहां माता सती की बाईं आंख की पूजा होती है। मान्यता है कि जब विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के 52 टुकड़े किए तो उनका बायां नेत्र यहीं गिरा था। इसके साथ ही द्वापर युग में राजा कर्ण और विक्रमादित्य के कथाओं में भी चंडीस्थान का जिक्र है।

विष्णु ने सती के 52 टुकड़े किए तो बाईं आँख गिरी : इस मंदिर की कई पौराणिक दन्त कथाएं हैं। कहा जाता है कि राजा दक्ष ने यज्ञ में अपने दामाद शंकर जी को न्योता नहीं दिया जस कारण से उनकी पुत्री क्रोधित हो गई और वो अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ को भंग करने के लिए घर पहुंची और यज्ञ के लिए बने हवन कुंड में कूद कर सती हो गई। जब यह बात भगवान शिव को पता चला तो वो अत्यंत क्रोधित हो गए और सती के शव को अपने कंधों पर उठा कर तांडव नृत्य करने लगे जिससे पूरी पृथ्वी हिलने लगी और चारो तरफ हाहाकार मच गया। देवी देवता इस बात से अत्यंत चिंतित हो गए और भगवान ब्रह्मा और विष्णु के पास जाकर विनती करने लगे कि शिव को सती की आशक्ति से दूर करें जिससे भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के 52 टुकड़े कर दिए। जहां-जहा यह टुकड़ा गिरा वहा पर शक्ति पीठ बन गया। मुंगेर में माँ का बांया नेत्र गिरा था।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें