लक्ष्य के अनुरूप की गई रबी फसल की खेती
मुंगेर | एक संवाददाता मुंगेर जिले में जलवायु अनुकूल कृषि की जा रही है। इस

मुंगेर | एक संवाददाता
मुंगेर जिले में जलवायु अनुकूल कृषि की जा रही है। इस संबंध में जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र, मुंगेर के कृषि वैज्ञानिक डॉ विनोद कुमार ने बताया कि, मुंगेर के असरगंज प्रखंड में सजुआ, मासूमगंज, बलुआही, पुरुषोत्तमपुर तथा तारापुर प्रखंड के कमरगामा गांव में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इस कार्यक्रम के तहत वर्ष- 2020- 21में रवि फसल के लिए 623 एकड़ का लक्ष्य रखा गया था। इसके विरुद्ध कुल 617 एकड़ में रब्बी फसलों की बुआई की गई है। इस प्रकार इस कार्यक्रम के तहत लक्ष्य के अनुरूप रब्बी फसल की खेती की गई है।
उपर्युक्त कार्यक्रम के तहत रबी फसलों की बुआई में आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया गया है। इसके तहत हैप्पी सीडर यंत्र के द्वारा फसल अवशेष को भूमि में ही मिलाकर गेहूं की बुआई की गई। कई जगहों पर जीरो टिलेज मशीन के द्वारा बिना जुताई के ही गेहूं, चना, मसूर एवं राई की सीधी बुआई की गई है। डॉ विनोद ने बताया कि, किसानों के क्षेत्र भ्रमण के तहत बुआई की उपर्युक्त विधि का प्रत्यक्षण किसानों को कराया गया। इसके अतिरिक्त जलवायु अनुकूल खेती के तकनीकों के लाभ को किसानों तक पहुंचाने एवं उन्हें जागृत करने के लिए जिले के अन्य गांवों से प्रक्षेत्र परिभ्रमण एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत किसानों को जलवायु अनुकूल कार्यक्रम के लिए चयनित गांवों में लगी फसलों का प्रत्यक्षण कराया गया।
जलवायु अनुकूल खेती करने एवं आधुनिक तकनीकों के प्रयोग के साथ-साथ विपरीत मौसम की कठिनाइयों को दूर करते हुए फसल चक्र एवं मौसम अनुकूल प्रभेदों का चुनाव कर खेती करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं। जमीन की उर्वरा शक्ति में वृद्धि,
उपज में वृद्धि,जल की बचत व आय में वृद्धि होगी।
इसके अतिरिक्त डॉ विनोद ने बताया कि, आगामी महीने में किसानों का एक्सपोजर परिभ्रमण हेतु बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया पूसा, समस्तीपुर, डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा तथा बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में फरवरी माह में लगने वाले किसान मेला- 2001 का भ्रमण किसानों को कराया जाएगा। इससे वहां पर मौसम अनुकूल कृषि तकनीकों को किसान आसानी से समझ कर एवं अच्छे ढंग से खेती कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।
