नए परिसीमन में तारापुर की पहली विधायक थीं नीता चौधरी
2008 में परिसीमन होने के बाद नए परिसीमन के आधार पर 2010 में तारापुर विधानसभा में पहली बार चुनाव हुआ था। नए परिसीमन के बाद तारापुर विधानसभा की पहली विधायक नीता चौधरी बनी थी। नीता चौधरी ने राजद के...
2008 में परिसीमन होने के बाद नए परिसीमन के आधार पर 2010 में तारापुर विधानसभा में पहली बार चुनाव हुआ था। नए परिसीमन के बाद तारापुर विधानसभा की पहली विधायक नीता चौधरी बनी थी। नीता चौधरी ने राजद के कद्दावर नेता और तारापुर विधानसभा से लगातार तीन बार से चुनाव जीत रहे शकुनी चौधरी को 13 हजार 878 मतों से हराया था। 2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू की प्रत्याशी नीता चौधरी को 44 हजार 583 मत और राजद के प्रत्याशी शकुनी चौधरी को 30 हजार 704 मत प्राप्त हुआ था। लेकिन नीता चौधरी का रविवार को दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में निधन हो गया। 27 मई को गैस रिसाव होने के कारण नीता चौधरी बुरी तर से तारापुर के कमरगामा स्थित अपने घर में झुलस गई थी। जिनका इलाज दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में चल रहा था।
2015 में नीता चौधरी ने पति को दिलायी थी जीत : 2010 में नीता चौधरी तारापुर की विधायक बनी थी। तो उस समय उनके पति डा. मेवालाल चौधरी कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति थे। 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले डा. मेवालाल चौधरी सेवानिवृत्त हो गए। इसी कारण 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने नीता चौधरी के पति को तारापुर विधानसभा से प्रत्याशी बनाया गया। इस दौरान नीता चौधरी तारापुर विधानसभा में घूम-घूम कर मतदाताओं को 2010 में किए विकास से लोगों को अवगत कराने के साथ ही अपने व्यवहार से लोगों का दिल जीता।
जनता नीता चौधरी को अधिक करते थे पसंद : 2010 में तारापुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनने के बाद नीता चौधरी क्षेत्र की जनता का दिल जीतने में कामयाब रही। यही कारण है कि 2015 के विधानसभा चुनाव में नीता चौधरी ने अपने पति को विधायक बनाने के लिए दुबारा लोगों का दिल जीत लिया। नीता चौधरी और उनके पति के व्यवहार और बातचीत करने के तरीके में काफी अंतर है। इसी कारण क्षेत्र की जनता को नीता चौधरी का व्यवहार और बात करने का तरीका अधिक पसंद आता था। इसी कारण तारापुर विधानसभा में 2020 के विधानसभा चुनाव के लिए दोबारा नीता चौधरी को जदयू से प्रत्याशी बनाए जाने के लिए जदयू के कार्यकर्ताओं में चर्चा होने लगी थी।