पयूर्षण पर्व: आत्मा की शुद्धि के लिए इच्छाओं को रोकना उत्तम तप
मुंगेर में जैन धर्मावलंबियों ने पर्यूषण पर्व के सातवें दिन उत्तम तप धर्म को मनाया। दिगंबर जैन मंदिर में पूजा और आरती की गई। उत्तम तप का अर्थ इच्छाओं का निरोध करना और सच्ची भक्ति करना है। यह पर्व आत्म...

मुंगेर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। जैन धर्मावलंबियों के दस दिवसीय पर्यूषण पर्व का सातवां दिन बुधवार को उत्तम तप धर्म के रूप में मनाया गया। सुबह दिगंबर जैन मंदिर में विधि पूर्वक अभिषेक, पूजा और आरती की गई। जैन समाज के निर्मल जैन ने बताया कि पर्यूषण पर्व आत्म साधना एवं आत्म आराधना का पर्व है। दस दिनों तक चलने वाले इस पर्व का हर दिन साधना की एक- एक सीढ़ी पर चढ़ते हुए व्यक्ति को मोक्ष की ओर अग्रसर करता है। सातवें दिन उत्तम तप धर्म के रूप में मनाया गया। उत्तम तप धर्म का अर्थ केवल कठिन साधना या तपस्या नहीं होता, बल्कि स्वयं के द्वारा देव शास्त्र एवं गुरु की सेवा एवं सच्ची भक्ति करना भी तप धर्म है।
तप का अर्थ है, इच्छाओं का निरोध करना। उन्होंने कहा आत्मा की शुद्धि के लिए इच्छाओं को रोकना ही उत्तम तप है। शरीर को सुख देना एवं मन की इच्छा की पूर्ति व्यक्ति को अच्छा लगता है, लेकिन शरीर को संयत करते हुए मन की इच्छाओं पर नियंत्रण करना उत्तम तप है। जैन धर्म में तप का विशेष महत्व बताया गया है। जीवन में सुख और दुख दोनों आते रहते हैं। हमें दोनो ही स्थिति में प्रसन्नता व्यक्त करने का प्रयास करना चाहिए। दोनों ही परस्थितियों में मनोबल बनाए रखना और संयम के साथ उसका मुकाबला करना चाहिए। धर्म से जुड़े रहने पर आत्मबल बना रहता है। सुख व्यक्ति के अहंकार की परीक्षा लेता है, जबकि दु:ख व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा लेता है, दोनों परीक्षाओं में पास होना, व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। उत्तम तप के मार्ग चलकर हम भवसागर से पार होकर उत्तम गति को प्राप्त कर सकते हैं।
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