मदरसे की अहमियत को नहीं किया जा सकता नजरअंदाज : हजरत मौलाना वली रहमानी
दीनी मदारिस न सिर्फ मुसलमानों बल्कि मुल्क के लिए एक महत्वपूर्ण केन्द्र है। मदरसे ने शिक्षा का अलख जगाया है। देशप्रेम, दीन व इंसान की खिदमत का संदेश दिया है। देश की हिफाजत व तरक्की में योगदान देने...
दीनी मदारिस न सिर्फ मुसलमानों बल्कि मुल्क के लिए एक महत्वपूर्ण केन्द्र है। मदरसे ने शिक्षा का अलख जगाया है। देशप्रेम, दीन व इंसान की खिदमत का संदेश दिया है। देश की हिफाजत व तरक्की में योगदान देने वाले मदरसे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह बातें जामिया रहमानी खानकाह के सालाना जलसा में शनिवार की रात मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड के महासचिव व जामिया रहमानी खानकाह के सरंक्षक हजरत मौलाना वली रहमानी ने कही।
उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई से लेकर लाल किला पर झंडा लहराने तक में मदरसे के लोगों ने कांधे से कंधा मिलाकर चलने का काम किया। अंग्रेजी तालिम शुरू होने से पहले से ही मदरसे में पढ़ने-पढ़ाने का काम हो रहा है। पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भी मदरसे में तालीम ली थी। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम 31 मई 2003 में खानकाह आने पर कहा था- मैंने भी मदरसा में तालिम पायी थी। उन्होंने कहा कि मदरसे की अहमियत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जलसा में बिहार एवं दूसरे राज्यों के हजारों श्रद्धालु भाग ले रहे हैं।
इससे पहले जामिया रहमानी खानकाह में रहकर हाफिज व आलिम की तालिम लेने वाले 84 छात्रों की दस्तारबंदी की गयी। इसमें 44 हाफिज एवं 40 आलिम हैं। जलसा में दो पुस्तकों एक हजरत मौलाना मिन्तुल्ला रहमानी की जीवनी पर एवं दूसरी मकतुवाद रहमानी पर पुस्तक का लोकार्पण किया गया। जलसा में मालेगांव महाराष्ट्र के मौलाना उमरैन महफूज, ऑल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड के मौलाना अबुताही रहमानी, इमारते सरिया पटना के मौलाना अनिसुर रहमान कासिमी, काजी वसी अहमद, जामिया रहमानी के शिक्षक मौलाना जमील अहमद, महाराष्ट्र के मौलाना महफूज रहमान आदि भाग लिया।