हनुमान जी की तरह करें भक्ति : स्वामी सुबोधानंद
श्री हनुमान जी अतुलित बल के धाम, सकल गुण निधान, विवेकी, आज्ञाकारी एवं आदर्श श्री राम भक्त हैं। हमें भी हनुमान की तरह प्रभु श्री राम की सेवा और भक्ति करके अपना जीवन सफल और धन्य बनाना...
श्री हनुमान जी अतुलित बल के धाम, सकल गुण निधान, विवेकी, आज्ञाकारी एवं आदर्श श्री राम भक्त हैं। हमें भी हनुमान की तरह प्रभु श्री राम की सेवा और भक्ति करके अपना जीवन सफल और धन्य बनाना चाहिए।
यह बातें स्वामी पथिक जी महाराज के परम शिष्य हरिद्वार के स्वामी सुबोधानंद जी महाराज ने असरगंज मुख्य बाजार में आयोजित श्रीराम कथा के सातवें दिन गुरुवार को श्रद्धालु श्रोताओं के बीच अपने प्रवचन में कहा। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि वानर राज बाली के भय से किष्किंधा नगरी के बाहर ऋषि मुक पर्वत पर वानर सुग्रीव, हनुमान अपने मंत्रियों के साथ रहते थे।
श्री राम और लक्ष्मण को देख भयभीत सुग्रीव ने ब्राह्मण वेश में हनुमान जी को पता लगाने भेजा कि कहीं मेरे शत्रु बालि का भेजा हुआ कोई व्यक्ति तो नहीं, जो मुझे मारने आया हो। हनुमान जी अपने विवेक बल से प्रभु श्री राम को पहचान लिया। उसके बाद अपना संपूर्ण जीवन ही प्रभु की सेवा में समर्पित कर दिया। स्वामी सुबोधानंद जी ने कहा कि सुग्रीव जीव है, बाली कर्म फल है, ऋषिमुक पर्वत संतों का संग है। जीव सत्संग में अपना पीछा करते हुए कर्म फल से कुछ काल के लिए बच सकता है। परंतु पूर्णरूपेण छुटकारा तो ईश्वर की शरण में पहुंचने पर ही मिल सकता है।