चूड़ी कारोबार की चमक पड़ गई फीकी, लाखों का हुआ नुकसान
कोरोना संकमण को लेकर इस बार सावन के महीने में महिलाएं बाजार नहीं निकल पा रही हैं। जिस कारण महिलाएं इस मास में बाजार में आकर पारंपरिक हरी चूड़ियां नहीं खरीद पा रही है। चूड़ी बाजार मंदी के दौर से गुजर...

कोरोना संकमण को लेकर इस बार सावन के महीने में महिलाएं बाजार नहीं निकल पा रही हैं। जिस कारण महिलाएं इस मास में बाजार में आकर पारंपरिक हरी चूड़ियां नहीं खरीद पा रही है। चूड़ी बाजार मंदी के दौर से गुजर रहा है। कई कारोबारी ने बताया कि कारखाना बंद रहने के वाबजूद सावन में हरी चूड़ियां मंगायी थी।
अमूमन सावन के इस पवित्र माह में परिवार की सभी महिलाएं एक साथ चूड़ियां खरीदने निकलती थी। इस समय बाजार की रौनक ही अलग रहती था। बाजार में चूड़ी खरीदारी कर रहीं सपना, संगीता, सुरुचि आदि बताया कि कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर दुकान काफी कम समय के लिए वह भी एकाध ही खुल रही है। मनपसंद चूड़ियां नहीं मिल पा रही है।
सावन मास में हरी चूड़ियां पहनने की है परंपरा: सावन में भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। इसलिए इस मास में सुहागिन महिलाएं हरी रंग की चूड़ियां पहनती हैं। मान्यता है कि सावन मास में भगवान शिव को चढ़ाए जाने वाले बेल और धतूरे का रंग हरा होता है। प्रकृति के निर्माण करने वाले भगवान शिव हरे रंग से प्रसन्न होते हैं। इसे सुहाग का प्रतीक भी माना जाता है।
