15 वर्षों में भी नहीं बना आंगनबाड़ी केंद्र का भवन
राज्य सरकार भले ही न्याय के साथ विकास करने का चाहे लाख ढिंढोरा पीट ले। लेकिन जमीन पर पिछले 15 वर्षों के दौरान विकास कुछ और ही बयां कर रही है। समेकित बाल विकास परियोजना के तहत तारापुर में नौनिहाल...
राज्य सरकार भले ही न्याय के साथ विकास करने का चाहे लाख ढिंढोरा पीट ले। लेकिन जमीन पर पिछले 15 वर्षों के दौरान विकास कुछ और ही बयां कर रही है। समेकित बाल विकास परियोजना के तहत तारापुर में नौनिहाल बच्चों को पोषण, स्वास्थ्य और स्कूल से पूर्व की शिक्षा को लेकर वर्षों से आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए गए हैं।
लेकिन 15 वर्षों के सुशासन में भी आंगनबाड़ी केंद्रों को अपना भवन नसीब नहीं हुआ है। 12 पंचायतों में 128 आंगनबाड़ी केंद्र है। इसमें 30 ही आंगनबाड़ी केंद्र के पास अपना भवन है। जबकि 98 आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण का मामला वर्षों से अटका पड़ा है। कई ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र है, जो किराए के मकान से लेकर सामुदायिक भवन में संचालित है। हालांकि पिछले 05 महीना तक कोरोना संक्रमण को लेकर सभी संचालित आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहा है। इस बीच बच्चों में अत्यधिक कुपोषण की पहचान करने एवं पिछड़े गांव और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले अधिकांश बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों में नामांकन करने से लेकर उनको मिलने वाले भोजन इत्यादि भी बंद है। पिछले चार वर्षों में दर्जनों बार मुखिया संंघ के अध्यक्ष शशि कुमार सुमन, जिला परिषद सदस्य पिंकी कुमारी एवं पूर्व सांसद प्रतिनिधि शशि शेखर राणा इत्यादि ने राज्य सरकार को रजिस्ट्री पत्र भेजकर नए भवन निर्माण को लेकर पहल करने का अनुरोध पत्र भेजा। आज तक जिले के आला अधिकारी द्वारा भी पहल नहीं किया गया।
जिसके कारण योजना अधर में लटका पड़ा है। कई बार पंचायत समिति की बैठक में भवन निर्माण का मुद्दा जोर-शोर से उठया गया। जहां प्रशासन के द्वारा आश्वासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के अलावे क्षेत्रवासियों को कुछ नहीं मिला। इस बार 15 वर्षों के बाद समाचार संकलन के दौरान चुनाव प्रचार में वोट मांगने जा रहें नेताजी से वोटर उन्हें खड़ी-खोटी सुनाते हुए उनके द्वारा किए गए विकास का हिसाब जगह-जगह मांग रहे हैं।