जमालपुर | निज प्रतिनिधि
जड़ वस्तु के प्रति अत्याधिक आकर्षण के कारण ही अवसाद रोग (डिप्रेशन) का जन्म होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 34 करोड़ से अधिक लोग अवसाद रोग के मरीज है। इसमें भारतीय जनसंख्या का लगभग 5% यानि 6 करोड़ लोग अवसाद रोग से ग्रस्त हैं। अगर इससे मुक्ति चाहिए तो मानव को अष्टांग योग का अभ्यास करना चाहिए।
यह बातें आनंदमार्ग प्रचार संघ के पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने शुक्रवार को आनंद मार्ग के हेड क्वार्टर आनंद नगर में आयोजित धर्म महासम्मेलन में वेब टेलीकास्ट एवं वेबीनार के माध्यम से कही। इस विश्वस्तरीय धर्म महासम्मेलन में मुंगेर, जमालपुर सहित बिहार के विभिन्न जिलों व अन्य देश-विदेशों के 3000 मार्गियों व समर्थनों ने शामिल हुए हैं। पुरोधा प्रमुख ने अवसाद रोग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मनुष्य के जीने ढंग बदल गया है। व्यक्ति आत्मसुख तत्व से ग्रस्त हो स्वार्थी हो गया। आर्थिक विषमता के कारण समाज बिखर गया है। स्वतंत्रता की आड़ में युवक-युवतियां चारित्रिक पतन की ओर उन्मुख हो रहे हैं और अंतत: हताश, निराश हो अवसादग्रस्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अवसाद( डिप्रेशन) के मुख्य पांच कारण होते हैं। मनुष्य अविद्या (अज्ञानता), अस्मिता (अहंकार), राग (आसक्ति), द्वेष (विरक्ति) एवं अभिनिवेश (मृत्यु का भय) से ग्रस्त है। उन्होंने कहा कि डिप्रेशन से मुक्ति के लिए अष्टांग योग का अभ्यास आवश्यक है। अष्टांग योग के अभ्यास से अंत: स्रावी ग्रंथियों का रसस्राव संतुलित हो जाता है, जिसके फलस्वरुप विवेक का जागरण होता है। और मनुष्य का जीवन आनंद से भर उठता है। मनुष्य के खुशहाल रहने का गुप्त रहस्य अष्टांग योग में छुपा हुआ है।