सदर अस्पताल : 22 शौचालय में 12 बेकार, 10 में गंदगी का अंबार
सदर अस्पताल में आने वाले मरीजों और उनके तामीरदारों के लिए कहने को 22 शौचालय हैं लेकिन इनमें से 12 टूट-फूटकर बेकार पड़े हैं, वहीं 10 में गंदगी का अंबार लगा है। इसके कारण इसमें मरीज जाने से कतराते...
सदर अस्पताल में आने वाले मरीजों और उनके तामीरदारों के लिए कहने को 22 शौचालय हैं लेकिन इनमें से 12 टूट-फूटकर बेकार पड़े हैं, वहीं 10 में गंदगी का अंबार लगा है। इसके कारण इसमें मरीज जाने से कतराते हैं।
शौचालय की साफ-सफाई का आलम यह है कि मल-मूत्र बाहर तक बहते रहता है। इससे उठ रही दुर्गंध से मरीजों का अस्पताल में इलाज कराना भी मुश्किल हो जाता है। इतना ही नहीं सदर अस्पताल स्थित महिला वार्ड, सर्जिकल वार्ड, प्रसव केंद्र आदि में जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा है। मरीजों का कहना है कि इतनी गंदगी होने के बावजूद अस्पताल में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव तक नहीं किया जाता है। उधर , अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि एनजीओ के सहारे रोज साफ-सपाई कराई जाती है। सदर अस्पताल में रोज लगभग तीन सौ मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं। गंदगी होने से उन्हें काफी परेशानी होती है। दो दिन पूर्व फुलका निवासी बंकिम यादव ने अस्पताल में मां को इलाज के लिए महिला वार्ड में भर्ती कराया था। वार्ड में उठ रही दुर्गंध के कारण अस्पताल से नाम कटवा कर इलाज कराने प्राइवेट अस्पताल चले गए। महिला वार्ड में भर्ती सविता देवी, सर्जिकल वार्ड में भर्ती मनोज यादव , महावीर साव ,मनोरमा देवीआदि ने बताया कि यहां का शौचालय शौच करने लायक नहीं रह गया है। सफाई नहीं होने के कारण दुर्गंध से जीना मुहाल हो गया है। इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन सफाई पर ध्यान नहीं दे रहा है।
शौचालय निर्माण कराने का दिया आश्वासन : सदर अस्पताल में शौचालय की साफ- सफाई के लिए दो एनजीओ काम करता है। साल के पहले छह महीने महिला निकेतन और दूसरे छह महीने में महावीर श्रमिक स्वावलंबी एनजीओ के ऊपर साफ-सफाई करने की जिम्मेदारी दी गयी है। मरीजों का कहना है कि इन एनजीओ द्वारा साफ-सफाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। 25 जून को अस्पताल निरीक्षण के क्रम में सांसद वीणा देवी ने शौचालय की दुर्दशा देखकर शौचालय निर्माण कराने का आश्वासन दिया था। देखना है कि यह आश्वासन धरातल पर कब तक उतर पाता है।
एनजीओ की राशि काटी जाएगी : सिविल सर्जन डॉ. योगेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि शौचालय की सफाई का काम एनजीओ द्वारा किया जाता है। साफ-सफाई की मुकम्मल व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है। इसके बावजूद भी सुधार नहीं किया गया तो एनजीओ की राशि काटी जाएगी।