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सूचना आइल त बुझाइल कि हमर दुनिया उजड़ गइल

भारत पाकिस्तान के बीच करगिल युद्ध 1999 में चल रहा था। 31 मई की शाम करीब 5 बजे हमलोग बैठकर करगिल युद्ध के बारे में पटना आकाशवाणी से समाचार सुन रहे थे। ठीक उसी समय अचानक रामगढ़वा पुलिस की जीप पर दारोगा...

सूचना आइल त बुझाइल कि हमर दुनिया उजड़ गइल
हिन्दुस्तान टीम,मोतिहारीFri, 26 Jul 2019 04:27 PM
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भारत पाकिस्तान के बीच करगिल युद्ध 1999 में चल रहा था। 31 मई की शाम करीब 5 बजे हमलोग बैठकर करगिल युद्ध के बारे में पटना आकाशवाणी से समाचार सुन रहे थे। ठीक उसी समय अचानक रामगढ़वा पुलिस की जीप पर दारोगा अपने पुलिसकर्मियों के साथ आये और उनके दरवाजे पर बैठे लोगों से पूछने लगे कि अरविंद पांडेय का घर कौन है।

लोगों ने बताया कि यही है तो दारोगा जी गाड़ी से उतर गये और उन्होंने कहा कि उनके पिता जी से थोड़ी बात करनी है। उसके बाद हम छोटे पुत्र छोटन कुमार के साथ आये तो वे बोले कि आपका बेटा आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए हैं। इतना सुनते ही अरविंद पांडेय के पिता ईश्वर चन्द्र पांडेय व उनका छोटा पुत्र फफक फफक रोने लगे। शहीद होने की खबर पूरे गांव में फैल गयी और धीरे धीरे लोग एकत्रित हो कर ढाढ़स बंधाने लगे। शहीद के पिता ने संवाददाता को बताया, ‘मंझले पुत्र के शहादत के खबर जैसे ही प्रशासन देलख ,लागल की हमर परिवार उजड़ गईल। वजह यह थी कि घर में मात्र वहीं एक सहारा थे ।जिनकी तलब -तनख्वाह से घर खर्च चलता था। छोटी बेटी का ब्याह भी करना था। उसके लिए उसी की नौकरी मददगार थी। शहीद की मां नौकरी लगने से दो साल पहले ही चल बसी थी। घटना के समय बड़े पुत्र काठमांडू में इलेक्ट्रिक का कार्य करते थे। उन्होंने बताया कि शहीद अरविंद बचपन से मेधावी थे। गांव के जब युवक नहर पर फौज में जाने के लिए दौड़ते थे, उन्हीं लोगों को देख कर मातृभूमि की सेवा का जज्बा पैदा हुआ। उसके बाद 1997 में अक्टूबर माह में फौज के लिए चयनित हुए। फौज में ट्रेनिंग लेने के बाद वे घर आये और मार्च 1999 में करगिल में पहली पोस्टिंग हुई। पोस्टिंग के दो माह बाद वे युद्ध में शहीद हो गए।

गरीबी में हुआ था लालन पालन:शहीद के पिता ईश्वर चन्द्र पांडेय ने बताया कि अरविंद तीन भाइयों में मंझले थे। तीनों पुत्रों की पढ़ाई-लिखाई पूजा-पाठ के कार्य से मिले कुछ रुपयों व कृषि कार्य से आये पैसों से हुआ।

सरकार ने वादे को नहीं किया पूरा

शहीद के पिता ईश्वरचंद पांडेय का कहना था कि मेरा और बेटा देश के लिए शहीद हो जाए तो गम नहीं है, परंतु झूठा वायदा नहीं करना चाहिए। इस गांव का नाम बदलकर शहीद अरविंद नगर भटिया कर दिया गया। सरकार ने इस गांव में उच्च विद्यालय, स्वास्थ्य केंद्र, विद्युतीकरण, स्वच्छ आदर्श गांव बनाने की घोषणा की, परंतु कोई काम नहीं हो रहा है। सड़क व स्कूल अर्द्धनिर्मित है। इसके अलावा शहरी क्षेत्र में आवास देने की घोषणा की गई, परंतु कुछ नहीं हुआ। शहीद का मुख्य द्वार बीस साल बाद भी नहीं बन सका। केंद्र सरकार ने पेट्रोल पंप व घर में एक सदस्य को नौकरी दी है।

शहीद के छोटे भाई बोले: अमर शहीद अरविंद पांडेय के छोटे भाई छोटन पांडेय ने अपने भाई की शहादत को याद करते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने पेट्रोल पंप व नौकरी दी है, परंतु इस शहीद के गांव की स्थिति अब भी बदतर है। इसे कोई देखने वाला नहीं है। हमें कुछ नहीं चाहिए। आदर्श गांव बने।

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