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शहर में आकार लेने लगे पूजा पंडाल

शारदीय नवरात्र को लेकर नगर के चौक-चौराहों पर एक से बढ़कर एक आकर्षक पूजा पंडाल बनाये जा रहे हैं। बांस-बल्लों की सहायता से पंडालों को बनाकर रंगबिरंगे कपड़ों से सजाया जाने लगा है। पंडालों को देश के...

शहर में आकार लेने लगे पूजा पंडाल
हिन्दुस्तान टीम,मोतिहारीSun, 24 Sep 2017 11:29 PM
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शारदीय नवरात्र को लेकर नगर के चौक-चौराहों पर एक से बढ़कर एक आकर्षक पूजा पंडाल बनाये जा रहे हैं। बांस-बल्लों की सहायता से पंडालों को बनाकर रंगबिरंगे कपड़ों से सजाया जाने लगा है। पंडालों को देश के प्रसिद्ध मंदिरों व ऐतिहासिक स्थलों की शक्ल में बनाया गया है। छतौनी चौक बस स्टैंड परिसर में कोलकाता के मायापुरी श्रीकृष्ण मंदिर का नजारा दिख रहा है तो राजाबाजार में कोलकाता के किचुड़ा स्थित हंसेश्वरी मंदिर का नजारा श्रद्धालुओं को शारदीय नवरात्र पर देखने को मिलेगा। बलुआ चौक पर चेन्नई के कालिकाम्बल मंदिर की शक्ल में पूजा पंडाल तैयार है । बेलीसराय पोखरा पटेल चौक स्थित पूजा पंडाल उत्तराखंड के सूर्यमंदिर की तर्ज पर बनाया गया है। वहीं बनियापट्टी चौक का पूजा पंडाल श्रद्धालुओं को गोहाटी के कामख्या मंदिर की याद दिलाने के लिए तैयार है। बेलही देवी मंदिर के पास जयपुर के सती मंदिर की तर्ज पर पंडाल बनाया गया है । कचहरी चौक स्थित मां जगदम्बा आनंद धाम मंदिर परिसर में लुधियाना के गणेश मंदिर की तर्ज पर पूजा पंडाल बनाया गया है। बरियारपुर के पास भुवनेश्वर के रामजानकी मंदिर,कुंआरी देवी चौक पर आंध्र प्रदेश स्थित पार्वती मंदिर तथा हिन्दी बाजार का पूजा पंडाल चेन्नई के विश्वा मंदिर की याद ताजा करेगा। वहीं जानपुल चौक पर कोलकाता के कालिका मंदिर तथा अवधेश चौक पर कोलकाता के नंदीपुर शक्तिपीठ की तर्ज पर पंडाल बनाकर रंगबिरंगे कपड़ों से सजाया जा रहा है। पूजा पंडालों को बनाने के लिए कोलकाता के कचरापाड़ा तथा नादिया जिले से कलाकारों को बुलाया गया है। वहीं मां दुर्गा सहित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के निर्माण के लिए हाजीपुर,मुजफ्फरपुर तथा नगर के स्थानीय कलाकार लगे हुए हैं।श्रद्धालुओं की भीड़ को संभालने के लिए पूजा समितियों के द्वारा वालेंटियर्स की तैनाती की जायेगी। वहीं प्रशासन के द्वारा दंडाधिकारियों तथा पुलिस बलों की प्रतिनियुक्ति की जा रही है। कलियुग में शारदीय नवरात्र का है विशेष महत्व:महाकाल संहिता के अनुसार सत्ययुग में चैत्र नवरात्र,त्रेतायुग में आषाढ़ नवरात्र ,द्वापरयुग में माघ नवरात्र तथा कलियुग में शारदीय नवरात्र की प्रमुखता रहती है। कलौ चंडी विनायकौ के अनुसार चंडी अर्थात् दुर्गा तथा विनायक अर्थात् गणेश जी की प्रधानता सिद्ध है। उसमें सर्वप्रथम मां दुर्गा का ही उल्लेख किया गया है। वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील पाण्डेय ने बताया कि नवरात्र में सम्पूर्ण मनोरथ को पूर्ण करने वाली व प्राणियों व देवताओं की जननी सगुण,निर्गुण व कल्याणमय विग्रह स्वरुप सत्,रज व तम् आदि तीनों गुणों से परे मां भगवती दुर्गा की पूजा,उपासना व दुर्गा सप्तशती पाठ का विधान है।

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