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मिथिलांचल का गौरव है हरिनाम संत सम्मेलन

परमात्मा द्वारा जीवात्मा को दृष्टि प्राप्त होती है। लेकिन, सत्संग द्वारा दृष्टिकोण प्राप्त होता है। दृष्टि पापात्मा व पुण्यात्मा दोनों को प्राप्त होता है। लेकिन, जो जीव संत और सत्संग दोनों को जगत...

मिथिलांचल का गौरव है हरिनाम संत सम्मेलन
हिन्दुस्तान टीम,मधुबनीTue, 02 Apr 2019 04:29 PM
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परमात्मा द्वारा जीवात्मा को दृष्टि प्राप्त होती है। लेकिन, सत्संग द्वारा दृष्टिकोण प्राप्त होता है। दृष्टि पापात्मा व पुण्यात्मा दोनों को प्राप्त होता है। लेकिन, जो जीव संत और सत्संग दोनों को जगत में प्राप्त कर लेता है वह सकारात्मक दृष्टिकोण प्राप्त कर पुण्यात्मा महात्मा बन जाता है। उक्त बातें चित्रकूट कामदगिरी प्रमुखद्वार पीठाधीश्वर जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने कहीं है।

वे सोमवार को टाउन क्लब मैदान में मिथिलांचल हरिनाम सत्संग सम्मेलन के 75 ों अधिवेशन में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सत्संग की परंपरा अनादि कालीन है। सत्संग के प्रभाव से प्रहलाद भक्त शिरोमणी हो गया। सत्संग के ही प्रभाव से रत्नाकर डाकू महर्षि बाल्मिकी बन गये। इसलिए मिथिलांचल में जो हरिनाम सत्संग प्रति वर्ष होता है वह समाज के सकारात्मक दृष्टिकोण देने के लिए ही होता है। मिथिलांचल हरिनाम सत्संग सम्मेलन मिथिलांचल का गौरव है।

विश्वास है कि इसी सत्संग सम्मेलन में कोई समर्थ गुरु रामदास जैसा आएगा और मिथिलांचल के किसी बालक को संस्कार देकर शिवाजी बनाने का गौरव प्राप्त कराएगा। जिसके द्वारा सनातन हिन्दू संस्कृति की रक्षा होगी। मौके पर जानकी घाट अयोध्या के रसिकपीठाधीश्वर श्री 108 अनंत विभूषित जन्मेजय शरण महाराज, अयोध्या वासुदेवघाट के श्री 108 जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी राम दिनेशाचार्य, भोपाल की रामायण प्रवाचिका सुश्री प्रज्ञा भारती सहित कई संतों ने प्रवचन दिया। संचालन उप सभापति सिमरिया के तनु तुलसी पीठाधीश्वर विष्णुदेवाचार्य बाल व्यास कर रहे हैं। मौके पर अध्यक्ष अवकाशप्राप्त आईएएस जीबछ झा, प्रबंध सचिव विनय कुमार वर्मा, रामनाथ ठाकुर सहित कई लोग थे।

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