जीबछ नदी पर बना पुल कभी भी हो सकता जमींदोज
रहिका प्रखंड के कनैल गांव में जीबछ नदी पर बना पुल कभी भी जमींदोज हो सकता है। यह पुल लगभग दो दशक अपने उद्धारक की तलाश कर रहा है। बिस्फी व बेनीपट्टी विधानसभा क्षेत्र को आपस में जोड़ने वाले इस पुल को...
रहिका प्रखंड के कनैल गांव में जीबछ नदी पर बना पुल कभी भी जमींदोज हो सकता है। यह पुल लगभग दो दशक अपने उद्धारक की तलाश कर रहा है। बिस्फी व बेनीपट्टी विधानसभा क्षेत्र को आपस में जोड़ने वाले इस पुल को उपेक्षित ही रखा गया है। जबकि इस जर्जर पुल से होकर हजारों यात्री प्रतिदिन जान-जोखिम में डालकर सफर करते हैं। चुनाव के समय भी वायदे तो होते हैं, पर चुनाव के बाद सबकुछ हवा-हवाई साबित होता है। राजनेताओं से लेकर प्रशासनिक महकमा के अधिकारी को इसके जीर्णाद्धार के लिए बीसियों बार लिखा गया, पर अबतक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हुई। अब आलम यह है कि जर्जर पुल कभी भी भरभरा का गिर सकता है। जीबछ नदी पर बना मसोमात पुल करीब सौ साल पहले बना। पुल का निर्माण लोहा स्टेट की मालकिन शशिमणि चौधराइन ने निजी कोष से कराया था। यह पुल लगभग 12 किलोमीटर दक्षिण एवं 15 किलोमीटर उत्तर तक के दोनों तरफ के गांवों को जोड़ता है।