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कुछ मानने के लिए तैयार नहीं थीं महिलाएं

शुक्रवार की देर रात महिला की मौत जो हंगामा शुरू हुआ उसमें कई तरह के अफवाह भी उड़ाए जा रहे थे। किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा...

कुछ मानने के लिए तैयार नहीं थीं महिलाएं
हिन्दुस्तान टीम,मधुबनीSun, 12 Aug 2018 04:46 PM
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शुक्रवार की देर रात महिला की मौत जो हंगामा शुरू हुआ उसमें कई तरह के अफवाह भी उड़ाए जा रहे थे। किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

भीड़ में अधिकत महिलाएं शामिल थीं। वो भावना में इस कदर भड़की हुई थी ं कि बस एक ही बात बोल रही थीं कि मुझे एफआईआर नहीं करानी है केवल आरोपित चिकित्सकों की मौत चाहिए। खून का बदला खून की बात कई लोग कह रहे थे। इसलिए मुआवाजा देने की बात कहने के बाद भी शव को उठने नहीं दिया जा रहा था।

प्रशासनिक मजबूरी थी कि वो जल्द से जल्द जन-जीवन सामान्य कराना चाह रही थी। पर आसपास की महिलाएं थीं कि वो मानने के लिए तैयार नहीं थीं। उनका आरोप था कि अगर महिला को कुछ नहीं आता था तो कैसे किसी के जीवन के साथ खेल सकती है। साथ ही लोगों का कहना है कि पटना ले जाने की तैयारी की जा रही थी। पर परिवारवालों को जानकारी क्यों नहीं दी जा रही थी।

भीड़ को नियंत्रित करने में लगे रहे अधिकारी

घटना के बाद भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। बीडीओ महेश्वर पंडित, थानाध्यक्ष सुरेन्द्र पासवान,सकरी थानाध्यक्ष राजेश कुमार समेत जनप्रतिनिधियों में मुखिया मुन्ना सिंह, मोजाहिर अंसारी, प्रखण्ड प्रमुख प्रतिनिधि हीरा लाल दास, आजाद साह, केदार झा लगातार भीड़ को नियंत्रित करने में लगे थे। एक पुलिसकर्मी की वर्दी भी फट गई। भीड़ के हत्थे दो बाइक चालक व एक पिकअप चालक भी चढ़ गए। जिसे पुलिस ने बचाया। स्कूल व कॉलेज समेत प्रखंड कार्यालय में ताला लगा दिया गया। बाद में डीएम एसपी ने कार्यालय का ताला खुलवाया। स्थानीय लोगों ने हंगामा और आगजनी को गलत बताया। कहा कि विरोध का मतलब किसी दूसरे को तंग करना नहीं है।

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