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मधुबनी में बनेगा शहीद गणेश ठाकुर द्वार

भारत छोड़ो आंदोलन में शहीद हुए अमर गणेश ठाकुर की याद में शहर में द्वार का निर्माण होगा। नगर परिषद की शनिवार को हुई आपात बैठक में इसका निर्णय लिया गया। नप सभागार में हुई आपात बैठक में ससमय सभी सदस्य...

मधुबनी में बनेगा शहीद गणेश ठाकुर द्वार
हिन्दुस्तान टीम,मधुबनीSun, 13 Sep 2020 07:05 PM
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भारत छोड़ो आंदोलन में शहीद हुए अमर गणेश ठाकुर की याद में शहर में द्वार का निर्माण होगा। नगर परिषद की शनिवार को हुई आपात बैठक में इसका निर्णय लिया गया। नप सभागार में हुई आपात बैठक में ससमय सभी सदस्य पहुंच गये। इस बैठक में प्रशासनिक स्तर पर एक मात्र एजेंडा लाया गया था जिसमें अमर शहीद अकलु द्वार के शिलापट्ट पर शहीद गणेश ठाकुर के नाम को लिखे जाने पर चर्चा किया जाना था। सदस्यों ने सामाजिक समरसता और सद्भाव का हवाला देते हुए इस प्रस्ताव को बहुमत से खारिज कर दिया। और प्रस्ताव पारित किया कि अमर शहीद गणेश ठाकुर की याद में नये द्वार का निर्माण किया जाए। सदस्यों ने शहीद गणेश ठाकुर को नमन किया और शहीद हुए सेनानी के प्रति अपनी श्रद्धासुमन अर्पित किया। हालांकि सदस्य बेनजीर खालिद ने अलग से द्वार बनाने का विरोध किया और जो द्वार बने हैं उसी पर उनके नाम लिखे जाने के प्रशासनिक प्रस्ताव का समर्थन किया। बैठक में 21 सदस्य उपस्थित थे। जिसमें 17 सदस्यों ने प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए शहीद के सम्मान में नये द्वार के निर्माण का प्रस्ताव पारित कर दिया और यह निर्णय दिया कि शीघ्र इसके निर्माण की दिशा में अग्रेतर कार्रवाई की जाए। चेयरमैन सुनैना देवी की अध्यक्षता में बैठक की शुरुआत होते ही उपमुख्य पार्षद वारिस अंसारी ने कहा कि सामाजिक सौहार्द को देखते हुए शहीद के सम्मान में नये द्वार का निर्माण शीघ्र हो। पार्षद सुभाष चंद्र मिश्र, मनीष कुमार सिंह, सोनाली देवी, धर्मवीर प्रसाद, सुनीता देवी, सुरेन्द्र मंडल, जयशंकर साह, विनिता देवी आदि ने नये द्वार के निर्माण की बात रखी। प्रभावती देवी, रजा इश्तियाक, कैलाश साह, अरुण कुमार राय, उमेश प्रसाद आदि ने चर्चा में हिस्सा लिया। आइएएस प्रीति गहलोत ने नये द्वार की बजाए बनाये गये द्वार पर ही उनके नाम लिखे जाने के प्रशासनिक प्रस्ताव पर सहमति का आग्रह किया। उन्होंने नप के पास राशि की कमी की भी बात कही। इस पर सदस्यों ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए बनाये गये द्वार में बिना किसी छेड़छाड़ के नये द्वार के निर्माण पर बल दिया। इसके बाद बैठक में इसके पक्ष में हाथ उठाकर समर्थन व विरोध करने की बात आइएएस ने कही। इसपर अधिकतर सदस्यों ने नये द्वार बनाने के समर्थन में अपना हाथ उठाया जिसके बाद यह प्रस्ताव बहुमत के साथ पारित हो गया।

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