संस्कृति को समृद्ध करती है संस्कृत भाषा
संस्कृत भाषा संस्कृति को समृद्ध करती है। यह जन जन की भाषा है। इसे सहजता से लोग अपनाते हैं। जरूरत है इसके्रप्रचार प्रसार की। संस्कृति और संस्कृत से...

मधुबनी, निज संवाददाता
संस्कृत भाषा संस्कृति को समृद्ध करती है। यह जन जन की भाषा है। इसे सहजता से लोग अपनाते हैं। जरूरत है इसके्रप्रचार प्रसार की। संस्कृति और संस्कृत से लगाव रखने वालों के बीच आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए विवेक कौशिक ने यह बात कही।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से आर्गेनिक केमिस्ट्री में शोध करने वाले संस्कृत के प्रचार व प्रसार में समर्पित विवेक कौशिक ने जिले के विभिन्न क्षेत्रों में इसके लिए किये जा रहे कार्यक्रम की जानकारी दी। बताया कि पिछले दिन राजनगर के भूतनाथ दरबार, कैटोला व अन्य स्थानों पर लोगों से मिला है। कहा कि अपने शास्त्रों का अध्ययन किए बिना हम भारतीय सांस्कृतिक तथा वैज्ञानिक विरासत से परिचित नहीं हो सकते और इसके लिए हमें संस्कृत का अध्ययन नितांत ही करना होगा उन्होंने गीता में निहित विज्ञान की विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि सर्वप्रथम गीता में ही डीएनए की चर्चा हुई है। डॉ. श्याम सुंदर चौधरी ने लोगों को संबोधित करते हुए बताया कि संविधान के 351 अनुच्छेद में कहा गया है की हिंदी के विकास के लिए संस्कृत से शब्द भंडार को ग्रहण किया जाय। अत: संस्कृत का अध्ययन अनिवार्य है।कार्यक्रम का संचालन संस्कृत-भारती के नगर संयोजक डॉ श्याम सुन्दर चौधरी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन हरिभूषण ने किया।
