कई कार्डों पर नाम-पता नहीं, वितरण में हो रही मनमानी
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 लागू होने के बाद सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना 2011 को आधार मानकर राशन कार्ड निर्गत किया गया। शेक सूची में जो भी नाम शामिल थे, उनके नाम पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के...
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 लागू होने के बाद सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना 2011 को आधार मानकर राशन कार्ड निर्गत किया गया। शेक सूची में जो भी नाम शामिल थे, उनके नाम पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत राशन कार्ड निर्गत हो गया। सरकार द्वारा अनाज भी दे दिया गया। लेकिन सिस्टम से जुड़े लोग कार्ड वितरण करने में मनमर्जी की। कई कार्ड थे जिस पर नाम और पता अंकित नहीं था। सिर्फ राशन कार्ड नंबर ही चढ़ा हुआ था। आरोप है कि ऐसे रिक्त राशन कार्ड प्राधिकार द्वारा अपने कब्जे में रखकर अनाज का उठाव करता रहा। जब पॉश मशीन आई तो कुछ बेचैनी बढ़ी, लोगों ने अपने निजी व्यक्तियों का आधार सीडिंग करवाया। यह खुलासा तब हुआ जब शेक सूची उपलब्ध कर गांव के दो युवकों ने पूरे गांव के राशन कार्ड वेरिफिकेशन करवाना शुरू किया। तथ्य सामने आया कि राशन कार्ड पर ऐसे लोगों का नाम चढ़ा हुआ है जो इनके परिवार के अंग नहीं। शिकायत पर एमओ ने पंचायत में कैंप लगाकर राशन कार्ड से आधार सत्यापन करने का निर्देश दिया। पंचायत के डीलर ने कैंप लगाने में रुचि नहीं ली। एमओ सुमित कुमार ने बताया कि 2014 में कई राशन कार्ड ब्लैंक थे। शेक सूची को देख कर उसे नामांकित करना था। यह मामला रैयाम पूर्वी पंचायत में सबसे ज्यादा था। अब लोगों को प्रपत्र क भरकर राशन कार्ड सुधार का आवेदन लेकर इसे सुधार करवाया जा सकता है। वहीं एसडीओ शैलेश कुमार चौधरी ने कहा नई व्यवस्था में सारी बाते पारदर्शी हो रही है।