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‘मैथिली का श्रेष्ठ कथा-संग्रह है गुल्फल-गुल्फल मुंह

मैथिली में कविताएं अधिक और कथा कम लिखी जा रही है। ऐसे में डॉ. नवो नाथ झा लिखित कथा-संग्रह गुल्फल-गुल्फल मुंह का प्रकाशित होना संतोष का विषय है। यह एक उपलब्धिपूर्ण पुस्तक है। ये बातें डॉ. भीमनाथ झा ने...

‘मैथिली का श्रेष्ठ कथा-संग्रह है गुल्फल-गुल्फल मुंह
हिन्दुस्तान टीम,मधुबनीSun, 24 Mar 2019 07:25 PM
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मैथिली में कविताएं अधिक और कथा कम लिखी जा रही है। ऐसे में डॉ. नवो नाथ झा लिखित कथा-संग्रह गुल्फल-गुल्फल मुंह का प्रकाशित होना संतोष का विषय है। यह एक उपलब्धिपूर्ण पुस्तक है। ये बातें डॉ. भीमनाथ झा ने कहीं। वे इस पुस्तक के लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह का आयोजन संतुनगर मोहल्ले में किया गया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए डॉ. कमल कान्त झा ने कहा कि देहात की कथाएं कम आ रही हैं। उसकी भाषा और वहां की पीड़ा को कथाकार नवो नाथ झा ने प्रमुखता से उकेरा है। वरिष्ठ लेखक उदयचंद्र झा विनोद ने पुस्तक की कहानियों पर प्रकाश देते हुए कहा कि विषय और शिल्प के स्तर पर यह एक उल्लेखनीय संग्रह है। प्रो. कुलधारी सिंह ने कहानियों में रोचकता के प्रसंग में कई कहानियों का उल्लेख किया। भागलपुर से पधारे प्रो. गिरीश मोहन सुमन ने पुस्तक के दार्शनिक पक्ष पर विचार रखा। युवा कथाकार ऋषि वशिष्ठ ने आरंभ में पुस्तक का परिचय देते हुए मैथिली कथा के विकास-क्रम को रेखांकित किया। कथाकार डॉ. नवो नाथ झा ने अपने लेखन प्रक्रिया पर बात की तथा लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। समारोह का संचालन अजित आज़ाद ने किया। नवारम्भ द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक के लोकार्पण समारोह में ज्योति रमण झा, नारायण यादव, रामेश्वर निशान्त, प्रो. ईशनाथ झा, चंडेश्वर खां, प्रणव नार्मदेय, डॉ. हेमचंद्र झा, विनय विश्वबंधु, अवधेश झा, विमल जी मिश्र, अनिल ठाकुर, सुभाष सिनेही, संजीव शमा, दीप नारायण विद्यार्थी, साधना झा, उमेश मिश्र, अरविन्द प्रसाद आदि ने अपने विचार रखे।

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