मधुश्रावणी: व्रतियों को सिद्धपीठ पचही चामुंडा स्थान में मिली चुनरी
मधेपुर, निज संवाददाता। मिथिला की संस्कृति अप्रतिम व मनमोहक है। यहां के पर्व-त्योहार की...
मधेपुर, निज संवाददाता। मिथिला की संस्कृति अप्रतिम व मनमोहक है। यहां के पर्व-त्योहार की सानी नहीं है। उत्सवप्रियता मिथिला व भारतीय संस्कृति की विशेषता रही है। उसमें पर्वों व त्योहारों की भव्यता इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। इसी क्रम में प्राकृतिक सौंदर्यता का अनुपम उपहार है मधुश्रावणी। इनदिनों मिथिला की नवविवाहिता पति की दीर्घायु व अपने अखंड सुहाग की रक्षा की कामना को लेकर मधुश्रावणी पूजन कर रही हैं। कठिन नियम-निष्ठा का यह पर्व बरबस लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है। इस पर्व में नवविवाहित वालाएं सखी-सहेलियों संग देव स्थान के आसपास बागीचों में फूल लोढ़ने जाती हैं।
मधेपुर प्रखंड क्षेत्र के पचही गांव स्थित सिद्धपीठ चामुंडा स्थान मनमोहक प्राकृतिक छटा के बीच अवस्थित है। इस दिव्य स्थान पर मधेपुर एवं लखनौर प्रखंड क्षेत्र की नवविवाहिता इनदिनों मधुश्रावणी पर्व के दौरान फूल लोढ़ने के लिए जुट रही हैं। पचही चामुंडा स्थान में ये नवविवाहिता मां चामुण्डे का दर्शन कर अपना डाला फूलों से सजाती हैं। प्रतिदिन विभिन्न गांवों से दर्जनों मधुश्रावणी पूजा कर रही नवविवाहित वालाएं यहां पहुंचती हैं। शुक्रवार शाम फूल चुनने चामुंडा स्थान पहुंची करीब चार दर्जन नवविवाहित वालाओं को चामुंडा विकास फाउंडेशन द्वारा चुनरी प्रदान की गई। यह चुनरी विभिन्न अवसरों पर माता चामुण्डे पर श्रद्धालु भक्तों द्वारा चढ़ाई गई थीं।
माता चामुंडा पर चढ़ाई गई चुनरी मिलने से मधुश्रावणी पूजन कर रहीं नवविवाहिता काफी खुश दिखीं। यह पवनैतिन वालाएं पचही, उमरी, मधेपुर, प्रसाद, लौफा, बांकी, भीठ-भगवानपुर, बेलौंचा, भखराईन आदि गांवों की थीं। मौके पर अध्यक्ष राकेश कुमार झा, विश्वनाथ झा, अरुण झा, नवीन झा, संतोष झा उपस्थित थे।
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