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लोकसभा चुनाव 2019 : 1977 में कांग्रेस व वामदलों के किले में लगी थी सेंध

मधुबनी को एक जमाने में मिथिलांचल का ‘मास्को कहा जाता था, जब पूरे देश में कांग्रेस का पताका लहरा रहा था तो मधुबनी में लाल झंडा दस्तक देने लगा था। जेपी आंदोलन के बाद हुए चुनाव के दस साल पहले ही 1967...

लोकसभा चुनाव 2019 :  1977 में कांग्रेस व वामदलों के किले में लगी थी सेंध
हिन्दुस्तान टीम,मधुबनीFri, 03 May 2019 04:23 PM
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मधुबनी को एक जमाने में मिथिलांचल का ‘मास्को कहा जाता था, जब पूरे देश में कांग्रेस का पताका लहरा रहा था तो मधुबनी में लाल झंडा दस्तक देने लगा था। जेपी आंदोलन के बाद हुए चुनाव के दस साल पहले ही 1967 में ही वामपंथियों ने मधुबनी में कांग्रेस के पांव उखाड़ दिये। उसके बाद फिर से यह सीट कांग्रेस और वामदलों को बारी-बारी से गले लगाती रही। 1999 में यहां भाजपा ने दस्तक दी। उसके बाद से यहां भाजपा की पकड़ लगातार मजबूत होती गई। मधुबनी लोकसभा सीट पर एनडीए ने अपना पत्ता खोल दिया है। तीन बार यहां से सासंद रहे हुकुमदेव नारायण यादव के बेटे अशोक यादव को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है। उम्मीदवार के नाम तय होने के कारण भाजपा और जदयू ने तैयारी भी शुरू कर दी है। हालांकि, राजद के कद्दावर नेता अब्दुलबारी सिद्दीकी यहां से हुकुमदेव नारायण यादव को टक्कर देते रहे हैं। राजद ने मजबूत आधार की बदौलत पिछले दो चुनावों में भाजपा को यहां कड़ा टक्कर दिया। सांसद के चुनाव में जीत का अंतर बीस हजार वोट के अंदर ही रहा है।

इस सीट का कई बार बदला नाम

1952 के चुनाव में यह सीट दरभंगा ईस्ट लोकसभा के नाम से जाना जाता था। 1957 के चुनाव में इसका नाम बदलकर जयनगर लोकसभा हो गया। 1972 में मधुबनी नया जिला बना। 1977 के चुनाव में इसका नाम जयनगर से बदल कर मधुबनी लोकसभा कर दिया गया। इस लोक सभा में छह विधानसभा क्षेत्र हैंे। मधुबनी, हरलाखी, विस्फी व बेनीपट्टी मधुबनी जिले में, जबकि जाले व केवटी दरभंगा जिले में हैं। हुकुमदेव नारायण यादव को मधुबनी लोकसभा का पहला सांसद बनने का भी गौरव प्राप्त है।

मुकाबला त्रिकोणीय के आसार

यहां ब्राह्मण, यादव और मुस्लिमों के वोट निर्णायक माने जाते हैं। पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति की चुप्पी भांपना कभी भी आसान नहीं रहा। किसी भी पार्टी का समीकरण बनाने और बिगाड़ने में इनकी भूमिका अहम होती है। इस बार नई पार्टी वीआईपी चुनावी मैदान में होगी। वीआईपी के लिए भी यह किसी परीक्षा से कम नहीं होगा। राजद के साथ ही कांग्रेस का भी समर्थन होगा। वामदल पहले ही ताल ठोक चुकी है। कुल मिलाकर मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार बन रहे हैं। मुकाबल कड़ा होगा।

1765695

कुल मतदाता

931919

पुरुष मतदाता

833709

महिला मतदाता

67

थर्ड जेंडर

1837

मतदान केंद्र

मुकाबला होगा दिलचस्प

मधुबनी से भाजपा ने अपना पत्ता खोल दिया है। तत्कालीन सांसद के पुत्र अशोक यादव को टिकट दिया गया है। महागठबंधन में यह सीट वीआईपी के कोटे में कई है। वीआईपी को मिले तीन में से मुजफ्फरपुर व खगड़िया पर उम्मीदवार की घोषणा हो चुकी है। सोशल इंजीनियरिंग के चक्कर में उम्मीदवार का नाम अटका है। जातीय समीकरण वहां का खेल बदल सकता है।

वर्तमान सांसद : हुकुमदेव नारायण

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री भी रहे

पिछले दस साल से हुकुमदेव यादव बीजेपी सांसद के रूप में मधुबनी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 1977 में पहली बार ये सांसद बने। फिर 1999 में कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉ. शकील अहमद को हराकर लोस में पहुंचे। 2004 में शकील से हारे फिर 2009 व 2014 में जीत दर्ज की। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री भी रहे। 2014 के सर्वश्रेष्ठ सांसद और 2019 में पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

कौन जीते कौन हारे

2014

जीते: हुकुमदेव नारायण यादव, बीजेपी,358040

हारे: अब्दुलबारी सिद्दकी,कांग्रेस, 337505

2009

जीते: हुकुमदेव नारायण यादव, बीजेपी,164,094

हारे: डॉ. अब्दुलबारी सिद्दिकी, राजद,154167

2004

जीते:डॉ.शकील अहमद,कांग्रेस,3,28,182

हारे:हुकुमदेव नारायण,बीजेपी, 2,41,403

1999

जीते: हुकुमदेव नारायण,बीजेपी, 328616

हारे: डॉ. शकील अहमद, कांग्रेस, 266001

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