Impact of Digitalization on Photography Industry Photographers Struggle for Survival डिजिटल दाैर में पिछड़े फोटोग्राफर प्रशिक्षण देकर मदद करे सरकार, Madhubani Hindi News - Hindustan
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डिजिटल दाैर में पिछड़े फोटोग्राफर प्रशिक्षण देकर मदद करे सरकार

मधुबनी में फोटोग्राफी का व्यवसाय तकनीकी विकास और डिजिटल कैमरों के आगमन से प्रभावित हुआ है। पहले जहां फोटो स्टूडियोज की भरमार थी, अब कई बंद हो गए हैं। फोटोग्राफर आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।...

Newswrap हिन्दुस्तान, मधुबनीSun, 7 Sep 2025 05:19 PM
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डिजिटल दाैर में पिछड़े फोटोग्राफर प्रशिक्षण देकर मदद करे सरकार

मधुबनी । समय के साथ तकनीक के विकास ने कई पेशों को प्रभावित किया है। इन्हीं में से एक है फोटोग्राफी। कभी शहर के मोहल्लों से लेकर बाजारों तक फोटो स्टूडियो की रौनक देखने को मिलती थी। शादी-ब्याह, जन्मदिन, सामाजिक कार्यक्रम, स्कूल-कॉलेज के आयोजन और पर्यटन स्थलों पर फोटोग्राफरों की भूमिका बेहद अहम हुआ करती थी। लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। बेहतर पिक्सल वाले मोबाइल कैमरों के आगमन और डिजिटलाइजेशन के दौर ने फोटोग्राफी काे सुलभ बना दिया है। इससे इस पेशे से जुड़े लोगों के समक्ष आर्थिक समस्याएं उतपन्न हो गई है। फोटोग्राफर अमरजीत, उमेश, सत्म का कहना है कि पहले स्टूडियो का काम लगातार चलता था।

पासपोर्ट साइज फोटो, शादीका एल्बम बनवाना, पारिवारिक फोटो सेशन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कवरेज जैसी अनेक जिम्मेदारियां उनके हिस्से आती थीं। इससे न केवल उनकी रोजी-रोटी चलती थी, बल्कि कई युवाओं को रोजगार भी मिला करता था। लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि महीने में कुछेक कार्यक्रमों के अलावा काम ही नहीं मिल पाता। हर घर में बेहतर कैमरे वाला मोबाइल है। मोबाइल कंपनियां लगातार हाई क्वालिटी कैमरा और बेहतर पिक्सल वाले मोबाइल लॉन्च कर रही हैं। इसके कारण लोग छोटे-बड़े अवसरों पर खुद ही फोटो और वीडियो बना लेते हैं। नतीजतन, पेशेवर फोटोग्राफरों की जरूरत सीमित होकर रह गई है। फोटोग्राफरों का कहना है कि लोग अब एल्बम बनवाने की जगह मोबाइल गैलरी और सोशल मीडिया पर फोटो सेव कर लेते हैं। इससे व्यापार पूरी तरह प्रभावित हुआ है। मधुबनी शहर में कभी फोटोग्राफी स्टूडियो की भरमार थी। हर गली-मोहल्ले में स्टूडियो खुले हुए थे। लेकिन अब हालत यह है कि शहर के कई पुराने स्टूडियो बंद हो गए हैं। बचे हुए फोटोग्राफर भी किसी तरह काम चला रहे हैं। जो लोग समय के साथ अपडेट हो गए उनका काम किसी तरह चल रहा है लेकिन, जो सिर्फ फोटो खिंचने तक सीमित हैं उनके ऊपर आर्थिक समस्याएं हैं। फोटोग्राफरों का कहना है कि पहले जहां रोजाना फोटो खिंचवाने वाले ग्राहक आते थे, वहीं अब कई दिनों तक स्टूडियो खाली पड़ा रहता है। सिर्फ परीक्षा देने वाले छात्र पासपोर्ट साइज फोटो खिंचाने आते हैं। इस स्थिति में बिजली, किराया और उपकरणों की देखरेख का खर्चा उठाना भारी हो जाता है। फोटोग्राफरों ने बताया कि इस पेशे से ही वे अपने परिवार का भरण-पोषण करते आए हैं। बच्चों की पढ़ाई, घर खर्च और अन्य जिम्मेदारियों को पूरा करने में अब कठिनाई हो रही है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि कई फोटोग्राफर अपना पुश्तैनी व्यवसाय छोड़कर दूसरे रोजगार की तलाश में जुटे हैं। कुछ लोग छोटे-मोटे धंधों से परिवार चला रहे हैं, तो कई युवा बेहतर अवसर की खोज में दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर रहे हैं। मधुबनी जिला मिथिला कला और संस्कृति का केंद्र माना जाता है। यहां कई ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल हैं, जहां पहले बड़ी संख्या में पर्यटक आते थे। उन पर्यटकों से फोटोग्राफरों की अच्छी कमाई हो जाती थी। लेकिन वर्तमान समय में सरकार की लापरवाही और पर्यटन स्थलों के सौंदर्यीकरण नहीं होने के कारण यहां पर्यटकों की आवाजाही कम हो गई है। फोटोग्राफरों ने बताया कि उनकी आमदनी का बड़ा हिस्सा पर्यटकों पर निर्भर रहता था, लेकिन जब पर्यटक ही नहीं आएंगे तो उनकी कमाई का स्रोत भी बंद हो जाएगा। फोटोग्राफी का काम युवाओं के लिए भी रोजगार का एक मजबूत जरिया हुआ करता था। कई युवाओं ने कैमरा और उपकरण खरीदकर खुद का काम शुरू किया था। लेकिन वर्तमान समय में काम की कमी के कारण कई युवा बेरोजगार हैं। वे किसी दूसरे रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं। फोटोग्राफरों ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि पर्यटन स्थलों के विकास और सौंदर्यीकरण पर ध्यान दिया जाए। साथ ही छोटे व्यवसायियों के लिए विशेष योजनाएं चलाई जाएं, ताकि पारंपरिक व्यवसाय बच सके। फोटोग्राफी कभी सामाजिक जीवन का अभिन्न हिस्सा हुआ करती थी। बदलते समय और तकनीकी विकास ने इस पेशे को हाशिए पर ला दिया है। यह स्थिति न केवल पारंपरिक कला के लोप का संकेत है बल्कि रोजगार संकट की ओर भी इशारा करती है। जरूरत इस बात की है कि सरकार, समाज और प्रशासन इस ओर गंभीरता से ध्यान दे, ताकि फोटोग्राफर अपने व्यवसाय को फिर से मजबूती से आगे बढ़ा सकें।

एडिटिंग व डिजिटल गुर सीखाने के लिए स्थापित हो प्रशिक्षण केंद्र

फोटोग्राफरों को आज डिजिटल युग की चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में जरूरी है कि सरकार और फोटोग्राफर दोनों मिलकर ऐसे रास्ते तलाशें, जिससे उनकी आमदनी स्थिर बनी रहे। सरकार को चाहिए कि वे फोटोग्राफरों के लिए विशेष प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करें, जहां उन्हें डिजिटल फोटोग्राफी, फोटो एडिटिंग, और ऑनलाइन मार्केटिंग के गुर सिखाए जाएं। साथ ही, डिजिटल उपकरणों और इंटरनेट की सुविधा ग्रामीण इलाकों तक पहुंचाने पर जोर दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, फोटोग्राफरों को वित्तीय सहायता जैसे सब्सिडी या लोन उपलब्ध कराना भी मददगार होगा। फोटोग्राफरों को भी खुद को अपडेट करना होगा। वे सोशल मीडिया और डिजिटल मार्केटप्लेस पर अपनी सेवाएं बढ़ाएं, जिससे उनकी पहुंच बढ़े। अपने काम की गुणवत्ता और विशिष्टता को बनाए रखना उनकी प्रतिस्पर्धा को मजबूत करेगा। इन पहलुओं से न केवल ग्रामीण फोटोग्राफरों की आमदनी सुरक्षित होगी, बल्कि वे डिजिटल युग की नई चुनौतियों का सामना आत्मविश्वास के साथ कर सकेंगे। पहले की तरह अब फोटो बनवाने की परंपरा भी लगभग खत्म हो गई है। फोटोग्राफरों ने सरकार से मदद की उम्मीद जताई है। उनका कहना है कि यदि कला एवं संस्कृति विभाग से उन्हें कामगार का दर्जा मिल जाए तो वे कई सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। यदि सरकार फोटोग्राफी से जुड़े लोगों के लिए विशेष प्रशिक्षण, सब्सिडी पर कैमरे और उपकरण उपलब्ध कराए, तो इस क्षेत्र में फिर से नयापन लाया जा सकता है। कुल मिलाकर, फोटोग्राफी व्यवसाय तकनीकी बदलावों से प्रभावित होकर अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। फोटोग्राफरों को आज पहले से कहीं अधिक सरकारी सहयोग और संरक्षण की आवश्यकता है, ताकि यह कला न सिर्फ जीवित रह सके बल्कि आने वाली पीढ़ियों तक भी पहुंच सके।

-बोले जिम्मेदार-

छोटे और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार विभिन्न प्रकार के लोन और योजनाएं उपलब्ध कराती है। छोटे व्यवसाय के लिए लोन, उपकरण फाइनेंसिंग और व्यापारिक वाहन लोन जैसी सुविधाएं उद्यमियों को अपने उद्योग को बढ़ाने और आधुनिक बनाने में मदद करती हैं। इन लोन के जरिए व्यवसायी नए उपकरण खरीद सकते हैं, परिवहन व्यवस्था सुधार सकते हैं और उत्पादन क्षमता बढ़ा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं। मुद्रा योजना के तहत छोटे व्यापारियों को बिना जमानत के ऋण उपलब्ध कराया जाता है, जिससे वे कम पूंजी के साथ भी व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।

-रमेश कुमार शर्मा, महाप्रबंधक, उद्योग विभाग।

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