प्रतिदिन नहीं होता कचरा उठाव
शहर में सफाई व्यवस्था को लेकर हमेशा तकरार होती रही है। लाखों खर्च के बाद यह तकरार आज भी बरकरार है। आउटसोर्सिंग चयन के समय यह तय हुआ कि शहर में एक गिलेशन को अतिरिक्त वार्ड मानकर 31 में से 26 में...
शहर में सफाई व्यवस्था को लेकर हमेशा तकरार होती रही है। लाखों खर्च के बाद यह तकरार आज भी बरकरार है। आउटसोर्सिंग चयन के समय यह तय हुआ कि शहर में एक गिलेशन को अतिरिक्त वार्ड मानकर 31 में से 26 में एजेंसी और शेष वार्ड में नगर परिषद के स्थायी कर्मी के माध्यम से सफाई कार्य कराये जायेंगे। लेकिन इसमें लगातार फेरबदल किया जाता रहा है। सबसे खास तो यह है कि एजेंसी को पहले वर्क ऑर्डर दिया गया। जबकि अबतक करारनामा को लेकर पेच फंसा ही है। वार्ड पांच और तीस के पार्षद ने यहां एजेंसी के द्वारा संसाधन के प्रयोग नहीं किये जाने की शिकायत की तो उसकी जांच इओ ने सिटी मैनेजर से करायी। वार्ड पार्षद ने बताया कि उन्होंने जो तर्क दिया है वह हास्यास्पद ही माना जायेगा। एजेंसी के करारनामा के दौरान संसाधन की उपलब्धता, मैन पावर और अन्य दी जाने वाली सुविधाओं का उल्लेख होता है और उसके एवज में एजेंसी को राशि दी जाती है। आखिरकार इस करारनामा का उल्लंघन करने की बात लिखित रुप में सिटी मैनेजर द्वारा कराये जाने की बात स्वीकार करने के बाद भी इओ ने कार्रवाई क्यों नहीं की। उल्टे शिकायत करने वाले वार्ड में कार्यों के तरीके को ही बदल दिया। इस कार्रवाई को राशि के बंदरबांट की राह में आने वाली बाधा को हटाने का संज्ञा वार्ड पार्षद दे रहे हैं। वहीं दस वार्ड पार्षदों ने भी सफाई को लेकर सवाल उठाया है। सभी ने यही कहा पेंमेंट डेली का और कचरा उठाव तीन दिन में एक दिन। और इसकी शिकायत करने के बाद कोई कार्रवाई नहीं होना, लाखों के बंदरबांट को उजागर कर रहा है। वहीं विभिन्न संगठनों ने एजेंसी चयन के दौरान के रिकॉर्डिंग की मांग आरटीआई के माध्यम से विभाग से की है। जिससे विभाग में खलबली मची है।