झंझारपुर लोकसभा चुनाव में अबकी बार बेहद खूबसूरती में दिखा जनतंत्र
जुगनू की उम्र थी बस एक रात की, लेकिन वो एक रात में ऐसा जिया कि बस। गजलकार ज्ञानप्रकाश विवेक ने जुगनू के जीने की खूबसूरती को निखारा...
जुगनू की उम्र थी बस एक रात की, लेकिन वो एक रात में ऐसा जिया कि बस। गजलकार ज्ञानप्रकाश विवेक ने जुगनू के जीने की खूबसूरती को निखारा है। यह मतदान के संदर्भ में भी उतना ही सटीक बैठता है। पांच साल या मध्यावधि काल में आने वाले चुनाव को भी इसी जुगनू की तरह खूबसूरती से मनाने लगे हैं मतदाता। 23 अप्रैल को झंझारपुर में मतदान होने जा रहा है। अहले सुबह एक मध्यम वर्गीय परिवार मैं चाय के साथ बैठा हूं। तभी छह-सात साल का बच्चा आता है और मोबाइल पर बातें करने लगता है। वहां से अपनी सेल्फी भी भेजना। यह छोटा सा वाक्य सोचने पर मजबूर करता है। राजनेता अपने बयानों का स्तर चाहे जितना नीचा करले आम लोग चुनाव को वाकई त्यौहार की तरह लेने लगे हैं। इसका नजारा कमोबेश झंझारपुर लोस चुनाव में देखने को मिला। साल दर साल और ऐसा कहे कि हर अगले साल हमारी जम्हूरियत बेहद खूबसूरती के साथ निखर कर सामने आ रही है। छोटे-छोटे बच्चे जिन्हें मतदान में हिस्सा लेने के लिए अभी काफी फासले पार करने हैं, वह भी इस चुनाव के समय खुश दिख रहे हैं। आम से लेकर खास तक मतदान को लेकर संजीदा दिखे। खासकर युवा पीढ़ियों में अजीब सा उत्साह दिखा। सुबह आठ बजे हैं। हरिनगर पंचायत भवन बूथ संख्या 83 पर महिला व पुरुषों की लंबी कतारें हैं। तभी गांव के बुजुर्ग महेंद्र झा (81) अपनी पोती निधि कुमारी के साथ पहुंचे। निधि पहली बार वोटर डालेंगी।