मछली बाजार में सन्नाटा, लोकल की मांग बढ़ी
मछली बाजार में दिनभर हलचल रही। आंध्रा मछली पर घातक फॉर्मलिन के लेप लगाये जाने के मामले को देखते हुए जिले में भी इसकी बिक्री पर पंद्रह दिनों के लिए रोक लगा दी गयी...
मछली बाजार में दिनभर हलचल रही। आंध्रा मछली पर घातक फॉर्मलिन के लेप लगाये जाने के मामले को देखते हुए जिले में भी इसकी बिक्री पर पंद्रह दिनों के लिए रोक लगा दी गयी है। जिले में बिक रहे आंध्रा की मछली के सैंपल की जांच में हानिकारक तत्व नहीं मिलने के बाद भी एहतिहायत के तौर पर यह रोक लगायी गयी है। मंगलवार को यहां के मंडी में सन्नाटा पसरा रहा। कम खरीदार होने के बाद भी लोकल मछली की मांग अच्छी खासी रही।
जिले में बाहर से आने वाले मछली में केवल आंध्रा की मछली शामिल होता है। यहां आने वाली मछली मुजफ्फरपुर की मंडी से लाया जाता है। पूरे जिले में हर दिन 2 सौ बक्सा आंध्रा मछली की खपत होता है। हर बक्से में 40 किलो मछली होता है। इसतरह 8 हजार किलो आंध्रा मछली की खपत यहां होती है। शहर में स्टेशन चौक पर इसकी बड़ी मंडी है। जहां से पंडौल, बेनीपट्टी, रहिका, राजनगर, खजौली, कलुआही, बाबूबरही आदि स्थानों पर ले जाया जाता है। वहीं झंझारपुर, फुलपरास, लौकही, जयनगर आदि स्थानों पर दरभंगा की मंडी से मछली का आवक है। जानकारी के अनुसार 1 सौ से 125 रुपये प्रति किलो होने के कारण अधिकतर गरीब व औसत सामान्य परिवार में इसकी खपत होती है। भोज व लग्न में भी इसकी खपत होती है। इधर, राजधानी में मछली को लंबे समय तक संरक्षित रखने के लिए फॉर्मलिन लगाने का मामला सामने आया है। जो स्वास्थ्य के लिए काफी घातक माना जाता है। इस मामले के सामने आने से जिले के लोग भी सशंकित हैं। हालंाकि यहां से मत्स्य विभाग द्वारा जुटाये गये सैंपल की जांच में घातक तत्व नहीं मिला था। विभाग द्वारा इसकी जांच करायी गयी थी। जिसमें कुछ भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तत्व नहीं मिला था।