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पार्क में पानी और रोशनी की व्यवस्था नहीं

व्यायाम की आधुनिक सुविधाओं से लैस शहर के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पार्क की देखभाल के प्रति नगर परिषद उदासीन बना है। पार्क में हर दिन सुबह और शाम को सैकड़ों लोगों का आना- जाना होता है। परंतु यहां न तो...

पार्क में पानी और रोशनी की व्यवस्था नहीं
हिन्दुस्तान टीम,मधेपुराThu, 23 May 2019 12:31 AM
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व्यायाम की आधुनिक सुविधाओं से लैस शहर के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पार्क की देखभाल के प्रति नगर परिषद उदासीन बना है। पार्क में हर दिन सुबह और शाम को सैकड़ों लोगों का आना- जाना होता है। परंतु यहां न तो पानी की और न ही रोशनी की समुचित व्यवस्था है।

पार्क में आने- जाने वाले लोगों से प्रवेश शुल्क के रूप में पांच-पांच रुपये वसूल किये जाने के बावजूद पानी और समुचित प्रकाश की व्यवस्था नहीं की जा रही है। समुचित रोशनी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण पार्क में आने वाले बच्चों और महिलाओं को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है। उल्लेखनीय है कि 55 लाख रुपये की लागत से डॉ. कलाम पार्क को विकसित किया गया है। पार्क में 35 लाख रुपये खर्च कर साइकिलिंग, साइकिलिंग दौड़, झूला सहित व्यायाम से संबंधित 40 तरह के सामान लगाए गए हैं। पार्क में महिला, बच्चों और बड़े- बुजुर्गों के लिए स्थान निर्धारित किये गये हैं। पार्क में व्यायाम की आधुनिक सुविधाएं होने के बाद पार्क में शहर के लोगों की आवाजाही काफी बढ़ गयी। सुबह घूमने- फिरने के साथ व्यायायम करने के लिए हर दिन सैकड़ों की तादाद में लोग वहां पहुंचते हैं।

पार्क की व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए प्रति व्यक्ति पांच रुपये प्रवेश शुल्क निर्धारित किया गया। शुल्क अदा कर पार्क जाने के प्रति भी लोगों ने उत्साह दिखाया। पार्क की रखवाली और व्यवस्था बनाए रखने के लिए दो गार्ड, एक टिकट संग्राहक और एक माली की तैनाती की गयी। इन कर्मियों पर नगर परिषद हर महीने 28 हजार रुपये खर्च कर रहा है। इसके बावजूद पार्क में पानी छिड़काव, दूब की कटिंग नहीं हो रहा है। पार्क के एक कोने में प्रकाश की व्यवस्था है लेकिन अन्य हिस्से में अंधेरा पसरा रहता है। शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं किये जाने के कारण उसके बनाने के औचित्य पर सवाल खड़ा हो रहा है।

नहीं निकल रही मेंटनेंस की राशि : नगर परिषद के वार्ड 14 स्थित डॉ. अब्दुल कलाम के पार्क में निर्धारित किये गये प्रवेश शुल्क से उसके मेंटेनेंस की राशि भी नहीं निकल रही है। शुरुआती दौर में प्रवेश शुल्क से हर महीने करीब 30 हजार रुपये मासिक आय होती थी। धीरे-धीरे टिकट की बिक्री कम होने के कारण मासिक आय नीचे गिरता गया।

मौजूदा समय में प्रवेश शुल्क से नगर परिषद को मात्र 15 हजार रुपये की आय होती है। ऐसी स्थिति में पार्क की देखभाल के लिए रखे गए एक टिकट संग्राहक, दो गार्ड और एक माली को भुगतान करना भी मुश्किल होने लगा है।

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