सभ्यता और संस्कृति से परिचय कराती है पांडुलिपि : कुलपति
पुस्तकालय किसी भी शिक्षण संस्थान का दिल होता है। जबतक पुस्तकालय रुपी दिल धड़कता है अबतक संस्थान जीवंत रहता है। यह बात कुलपति डॉ. अवधकिशोर राय ने शनिवार को पांडुलिपि एवं लिपि विज्ञान पर आयोजित...
पुस्तकालय किसी भी शिक्षण संस्थान का दिल होता है। जबतक पुस्तकालय रुपी दिल धड़कता है अबतक संस्थान जीवंत रहता है। यह बात कुलपति डॉ. अवधकिशोर राय ने शनिवार को पांडुलिपि एवं लिपि विज्ञान पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर कही।
कुलपति ने कहा कि कोसी एवं मिथिला क्षेत्र का काफी गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। लेकिन हम इससे पूर्ण परिचित नहीं हैं। हमारी पौराणिक गाथा क्या है ? हमारी सभ्यता-संस्कृति क्या है ? किसी ने इसे जानने-समझने और आम लोगों के बीच लाने का प्रयास नहीं किया। यह सब हमें जानना-समझना होगा। कुलपति डॉ. राय ने कहा कि यदि हम पांडुलिपियों का संरक्षण नहीं करेंगे, तो हम अपने इतिहास एवं सभ्यता-संस्कृति से अपरिचित रह जाएंगे। पांडुलिपियों का संरक्षण और उसके आधार पर शोध आवश्यक है। केंद्रीय पुस्तकालय के तत्वावधान में आयोजित यह कार्यशाला राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित है।
एनएमएम, नई दिल्ली के समन्वय श्रीधर बारिक ने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से लोग पांडुलिपियों के संरक्षण एवं उनके आधार पर शोध करने को प्रेरित होंगे। इसके साथ ही विभिन्न लिपियों का परिचय प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने इस बात पर चिंता प्रकट की कि बहुत सारी पांडुलिपियों के जानकार अब नहीं रहे। स्वागत भाषण कार्यशाला के समन्वयक डॉ. ज्ञानंजय द्विवेदी ने दिया। संचालन इवेंट मैनेजर पृथ्वीराज यदुवंशी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव सह केन्द्रीय पुस्तकालय के प्रोफेसर इंचार्ज डॉ. अशोक कुमार ने किया। इस अवसर पर टीएमबीयू, भागलपुर के पूर्व पुस्तकालयाध्यक्ष बसंत कुमार चौधरी, डीएसडबल्यू डॉ. नरेन्द्र श्रीवास्तव, विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ. अरूण कुमार मिश्र, वाणिज्य संकायाध्यक्ष डॉ. लम्बोदर झा, सिनेट सदस्य द्वय डॉ. रामनरेश सिंह एवं डॉ. नरेश कुमार, डॉ. एचएलएस जौहरी, डॉ. सीताराम शर्मा, डॉ. रेणु सिंह, डॉ.आरकेपी रमण, डॉ. मोहित घोष, डॉ. मो. अबुल फजल, डॉ. एमआई रहमान, पीआरओ डॉ. सुधांशु शेखर,पीओ संजय कुमार सहित अतिथि और प्रतिभागी उपस्थित थे।