Hindi Newsबिहार न्यूज़Loot theft smuggling gold silver used in Muzaffarpur 6 businessmen on DRI radar

मुजफ्फरपुर मंडी में खप रहा लूट-चोरी-तस्करी का सोना, DRI के रडार पर 6 बड़े कारोबारी

मुजफ्फरपुर आभूषण मंडी के व्यवसायी का तार पहले भी सोना व चांदी जब्ती के मामले में जुड़ा रहा है। स्विट्जलैंड से म्यंमार के रास्ते पश्चिम बंगाल और गुवाहाटी होकर सोना की तस्करी का नेटवर्क रहा है।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरThu, 8 Aug 2024 05:02 AM
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पटना, हाजीपुर मुजफ्फरपुर, पूर्णिया समेत कई शहरों में सोना लूट कांड के बाद जांच एजेंसियां एक्शन में हैं। बिहार के विभिन्न शहरों में तस्करी का सोना भी खपाया जा रहा है। डीआरआई इसे लेकर तत्परता से काम कर रही है। सोना तस्करी से जुड़ाव को लेकर मुजफ्फरपुर के पुरानी बाजार और बाबा गरीबनाथ मंदिर के समीप के आधा दर्जन आभूषण कारोबारी डीआरआई के रडार पर हैं। पटना में सोना जब्ती के बाद शहर की आभूषण मंडी में अधिकारी पहुंचे। हालांकि, अब तक किसी दुकान में डीआरआई ने तलाशी नहीं ली है।

मुजफ्फरपुर आभूषण मंडी के व्यवसायी का तार पहले भी सोना व चांदी जब्ती के मामले में जुड़ा रहा है। स्विट्जलैंड से म्यंमार के रास्ते पश्चिम बंगाल और गुवाहाटी होकर सोना की तस्करी का नेटवर्क रहा है। तस्करी के सोने से यहां गहने बनाकर बचे भी गए हैं। डीआरआई पटना की टीम ने हाथीदह में तीन किलो 262 ग्राम सोना के बिस्कुट जब्त को किया था। इसमें कार के साथ दो कैरियर एजेंट को गिरफ्तार किया गया था। दोनों कैरियर एजेंट ने पूछताछ में जब्त सोने को मुजफ्फरपुर आभूषण मंडी पहुंचाने की बात स्वीकार की थी। इसके बाद से ही मुजफ्फरपुर मंडी के व्यवसायियों के संबंध में डीआरआई की टीम स्रोत खंगाल रही है।

पहले भी हो चुकी है कार्रवाई

सात साल पहले भी मुजफ्फरपुर आभूषण मंडी में लाए जा रहे सोना के बिस्कुट की खेप को सुगौली रेलवे स्टेशन पर पकड़ा गया था। रक्सौल से मुजफ्फरपुर तक कई व्यवसायियों की संलिप्तता इसमें सामने आई थी। यही नहीं, कोलकाता में मुजफ्फरपुर के आभूषण व्यवसायी अवैध चांदी और सोना के साथ गिरफ्तार हो चुके हैं। अब फिर से पटना में सोना जब्ती के बाद मुजफ्फरपुर आभूषण मंडी सुर्खियों में है।

शहर से सटे छोटे बाजारों में भी फैला है जाल

सोना तस्करी का जाल मुजफ्फरपुर शहर के अलावा आसपास के छोटे मार्केट तक फैला है। विदेश से मंगाए गए सोना को उसी दिन आभूषण बनाकर दुकानों में सजा दिए जा रहे हैं। इसमें नकली होल मार्क तक लगा दिए जा रहे हैं। जिसे आसानी से पहचानना मुश्किल होता है। छोटे मार्केट में इस तरह के गहनों की बिक्री आसानी से हो जा रही है। यह सब मॉनिटरिंग के लिए जिम्मेदार एजेंसियों की ढिलाई के कारण संभव हो पा रहा है।

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