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बिहार चुनाव: दो बार जीते लालू, राबड़ी की हुई थी हार; हरि और हर की भूमि सोनपुर में RJD-BJP में जंग जोरदार

बिहार चुनाव: दो बार जीते लालू, राबड़ी की हुई थी हार; हरि और हर की भूमि सोनपुर में RJD-BJP में जंग जोरदार

संक्षेप: बिहार चुनाव: यहां बीजेपी और राजद के बीच सीधी लड़ाई होती है। राजपूत और यादव जाति की संख्या सोनपुर विधान सभा में लगभग बराबर है। ब्राम्हण और भूमिहार के अलावा कोईरी - कुर्मी और अन्य ओबीसी में आने वाली जाति, दलित - महादलित और अन्य पिछड़े वर्ग की भूमिका ही महत्वपूर्ण व निर्णायक होती है।

Wed, 1 Oct 2025 12:48 PMNishant Nandan हिन्दुस्तान, नंद किशोर शर्मा, वैशाली
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बिहार चुनाव: दक्षिण में गंगा और पूरब में गंडक नदी से घिरा सोनपुर विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण रहा है। हरि और हर की इस भूमि की सियासत में जितनी ख्याति है उससे कहीं ज्यादा हरिहरक्षेत्र मेला से यह विश्वविख्यात है। यहां राजनीतिक पिच भी मशहूर है। क्षेत्र ने बिहार को दो- दो मुख्यमंत्री दिए। जेपी आंदोलन के बाद 1977 में हुए चुनाव में रामसुंदर दास इस क्षेत्र से निर्वाचित हुए और राज्य के मुख्यमंत्री बने। राजद के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद 1990 में राज्य के मुख्यमंत्री बने। 1952 में गठित इस विधानसभा क्षेत्र से 1962 में भाकपा के शिव बचन सिंह की जीत को अपवाद मान लें तो कांग्रेस यहां से सर्वाधिक पांच बार जीती। इसके बाद न किसी की हैट्रिक लगी और न ही किसी खास दल का एकाधिकार रहा।

1972 के बाद यहां से कभी कांग्रेस का खाता नहीं खुला। कांग्रेस के बाद यहां से चार बार राजद, बीजेपी- जनता दल दो- दो बार और जनता पार्टी, लोकदल, भाकपा व जनता पार्टी सेक्यूलर एक -एक बार जीत का परचम लहरा चुकी है। 1990 के बाद दलगत और जातिगत आधार पर चुनाव का प्रभाव यहां ज्यादा देखा जा रहा है। सोनपुर विधानसभा क्षेत्र में हुए कई चुनावों में यहां की जनता ने दल और गठबंधन की भावना से उपर उठकर भी फैसला किया है।

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यहां बीजेपी और राजद के बीच सीधी लड़ाई होती है। राजपूत और यादव जाति की संख्या सोनपुर विधान सभा में लगभग बराबर है। ब्राम्हण और भूमिहार के अलावा कोईरी - कुर्मी और अन्य ओबीसी में आने वाली जाति, दलित - महादलित और अन्य पिछड़े वर्ग की भूमिका ही महत्वपूर्ण व निर्णायक होती है जो चुनाव परिणाम को प्रभावित करती है।अन्य जातियों का समर्थन जिस दल के प्रत्याशी को मिलता है उसकी जीत सुनिश्चित हो जाती है।

राबड़ी देवी की हुई हार, दो-दो बार विधायक बने लालू

इस सीट की सियासी रूप से खास विशेषता यह भी रही है कि यहां से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव लगातार दो बार विधायक रहे लेकिन उनकी पत्नी पूर्व सीएम राबड़ी देवी को पराजित भी होना पड़ा है। विधानसभा 2010 के चुनाव में भाजपा के विनय कुमार सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री व राजद नेत्री राबड़ी देवी को हराया था। वर्ष 2000 में भी भाजपा प्रत्याशी के रूप में विनय सिंह विजयी हुए थे पर 2005 के फरवरी और अक्टूबर दोनों चुनावों में रामानुज प्रसाद को लगातार दो बार जीत मिली।2015 और 2020 के चुनाव में राजद के डॉ. रामानुज प्रसाद ने भाजपा के विनय कुमार सिंह को पराजित कर इस सीट पर लगातार अपना कब्जा बरकरार रखा।

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धार्मिक महत्व की धरती

स्वतंत्रता संग्राम से लेकर धार्मिक महत्व वाली यह धरती बाढ़-कटाव की भी मार झेलती है। दिघवारा प्रखंड का मलखाचक गांव क्रांतिकारियों का गढ़ माना जाता था। यहां शहीदे आजम भगत सिंह भी कई बार आये थे। मलखाचक के रामदेनी सिंह के अलावा 1942 की अगस्त क्रांति में पुलिस की फायरिंग में सोनपुर गांव के युवक महेश्वर सिंह, द्वारिका सिंह, नगरा खुदाई बाग के रहने वाले व मिरदाहा गांव स्थित एक स्कूल के शिक्षक तज्जमुल हुसैन और नयागांव बनवार चक के युवक राजेन्द्र सिंह ने पटना सचिवालय पर तिरंगा फहराते हुए अपने छह साथियों के साथ शहादत दी थी।

बाढ़-कटाव झेलते हैं लोेग

पिछले दो दशक से दियारा इलाके में गंगा और गंडक नदी से बाढ़ और कटाव की पीड़ा झेल रहे सारण के इस विधानसभा क्षेत्र का धार्मिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्व है। बाबा हरिहरनाथ का मंदिर देश का इकलौता मंदिर है जहां भगवान विष्णु और शिव का एक साथ विग्रह है। इसके साथ ही गजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम, काली मंदिर, राधा- कृष्ण मंदिर, गौरी- शंकर मंदिर, जड़भरत स्थान, लोकसेवा आश्रम, नर्मदेश्वरनाथ मंदिर समेत अनेक मठ- मंदिर हैं। गज और ग्राह की लड़ाई प्रसिद्ध है। कार्तिक पूर्णिमा पर 32 दिनों तक सरकारी स्तर पर एशिया प्रसिद्ध पशु मेला लगता है। इससे इस क्षेत्र का सांस्कृतिक महत्व काफी है।

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विधायक डॉ. रामानुज प्रसाद ने कहा कि सोनपुर विधान सभा क्षेत्र के विकास के लिए हर संभव प्रयास किया। नदियों पर पुल - पुलियों का निर्माण, कई गांवों में पक्की सड़कों का निर्माण और शिक्षा आदि के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम हुए हैं। इस क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने , उद्योग- धंधों की स्थापना और शिक्षा का हब बनाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाया जायेगा।

वहीं बीजेपी के पूर्व विधायक, विनय कुमार सिंह ने कहा कि दस वर्षों के कार्यकाल में जनता को विधायक से जो अपेक्षाएं थी वो पूरी नहीं हो पायीं। विधायक का दस साल का कार्यकाल निराशाजनक रहा है। किसी भी बुनियादी समस्याओं का निदान नहीं हो सका। वे जनता से किए वादे पर खरे नहीं उतरे। विकास अवरुद्ध है।

इन पर चल रहा काम

● छपरा-सोनपुर फोरलेन के निर्माण में गति

● हरदियां चंवर में जलनिकासी का समाधान

● पहलेजा- गंगानदी नदी पर अस्थायी पुल के स्थायी समाधान की पहल

● ग्रामीण सड़कों की मरम्मत और निर्माण के लिए निविदा की प्रक्रिया

योजनाएं जो हुईं पूरी

● सोनपुर विधान सभा क्षेत्र में 152 ग्रामीण सड़कों का निर्माण

● दिघवारा प्रखंड की कुरैया पंचायत में विष्णुपुरा से बस्ती जलाल के उन्नह चक बाजार के बीच माही नदी पर पुल का निर्माण

● सोनपुर प्रखंड की सबलपुर उत्तरी पंचायत के बिन्द टोली से हरिहरनाथ पहलेजा के बीच माही नदी पर पुल का निर्माण

● पहलेजाघाट से रमसापुर दियारा के बीच गंगा नदी पर पुल का निर्माण

समस्याएं जो नहीं हुईं दूर

● हरदिया चंवर से जल निकासी की समस्या जस की तस

● दियारा इलाके में प्रतिवर्ष बाढ़ व कटाव से बचाव के लिए गंगा नदी में नहीं हुआ रिंग बांध का निर्माण

● सड़क, सिंचाई और बिजली व्यवस्था बदहाल

● युवाओं के रोजगार और उद्योग - धंधों की नहीं हो सकी स्थापना

● सोनपुर में महिलाओं के लिए नहीं हो सका डिग्री कॉलेज का निर्माण

पिछले चुनाव में थे ये मुद्दे

● हरदिया चंवर से जल निकासी

● दियारा इलाके में प्रतिवर्ष बाढ़ व कटाव से बचाव के लिए गंगा नदी में रिंग बांध का निर्माण

● सड़क, सिंचाई और बिजली व्यवस्था को दुरुस्त करना

● रोजगार के लिए उद्योग - धंधों की स्थापना

● सोनपुर में महिलाओं के लिए डिग्री कॉलेज का निर्माण

इस बार के चुनावी मुद्दे

● हरदिया चंवर से जल निकासी की समस्या

● दियारा इलाके में बाढ़ व कटाव से बचाव के लिए गंगा नदी में रिंग बांध का निर्माण

● सोनपुर - छपरा फोर लेन सड़क का निर्माण कार्य 15 वर्षों में भी पूरा नहीं हो सका

● युवाओं के रोजगार और उद्योग - धंधों की स्थापना

● सोनपुर में महिलाओं के लिए डिग्री कॉलेज का निर्माण

साल- प्रत्याशी एवं पार्टी

1952- जगदीश शर्मा, कांग्रेस

1957. रामविनोद सिंह,कांग्रेस

1962. शिवबचन सिंह, भाकपा

1967. रामजयपाल सिंह यादव, कांग्रेस

1969 राम जयपाल सिंह यादव, कांग्रेस

1972. रामजयपाल सिंह यादव, कांग्रेस

1977. रामसुंदर दास , जनता पार्टी

1980. लालू प्रसाद यादव , जनता पार्टी सेक्युलर

1985. लालू प्रसाद, लोक दल

1990. राजकुमार राय, जनता दल

1995. राजकुमार राय, जनता दल

2000. विनय कुमार सिंह, भाजपा

2005. ( फरवरी)रामानुज प्रसाद , राजद

2005. ( अक्टूबर)रामानुज प्रसाद, राजद

2010. विनय कुमार सिंह, भाजपा

2015. रामानुज प्रसाद, राजद

2020. रामानुज प्रसाद, राजद

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Nishant Nandan

लेखक के बारे में

Nishant Nandan
एक दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र में सेवाएं दे रहे निशांत नंदन डिजिटल पत्रकारिता में आने से पहले इलेक्ट्रॉनिक/प्रसारण मीडिया में लंबे समय तक काम कर चुके हैं। निशांत ने अपने करियर की शुरुआत ETV बिहार से की थी। इसके बाद वो मौर्य न्यूज, आर्यन न्यूज, न्यूज वर्ल्ड इंडिया जैसे संस्थानों में अलग-अलग भूमिकाओं में काम कर चुके हैं। साल 2018 में इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के साथ डिजिटल पत्रकारिता का सफर शुरू करने के बाद निशांत साल 2021 में लाइव हिन्दुस्तान से जुड़े। निशांत मूल रूप से बिहार के भोजपुर जिले के रहने वाले हैं। आरा में शुरुआती शिक्षा के बाद इन्होंने नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। और पढ़ें
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