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देवघर में बाबा भोलेनाथ पर चढ़ रहा लखीसराय में बना सिंदूर

वैसे तो सालों भर लखीसराय में बने सिंदूर का डिमांड देश के विभिन्न राज्यों के साथ पड़ोसी देश नेपाल में भी रहता है। लखीसराय में सालो भर बडे़ पैमाने पर सिंदूर तैयार किया जाता है। केवल सावन महीना में जिले...

देवघर में बाबा भोलेनाथ पर चढ़ रहा लखीसराय में बना सिंदूर
हिन्दुस्तान टीम,लखीसरायThu, 18 Jul 2019 12:13 AM
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वैसे तो सालों भर लखीसराय में बने सिंदूर का डिमांड देश के विभिन्न राज्यों के साथ पड़ोसी देश नेपाल में भी रहता है। लखीसराय में सालो भर बडे़ पैमाने पर सिंदूर तैयार किया जाता है। केवल सावन महीना में जिले में करोड़ों का कारोबार होता है। सावन महीना में बाबा भोलेनाथ पर व्यापक रूप से सिंदूर चढ़ाया जाता है। देश के विभिन्न राज्यों में स्थापित शिवालियों में सावन माह में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। मान्यता के अनुसार सावन महीना में बाबा भोलनाथ पर चढ़ाए जाने वाले सिंदूर को सुहागिन महिलाएं सालों भर अपने मांग में भरते हैं। लखीसराय में सिंदूर का कारोबार आजादी के पहले से किया जा रहा है। एक समय सावन महीने में सिंदूर की डिमांड को पूरा करने के लिए दो-तीन महीने पहले से पुरानी बाजार के लगभग सभी सामान्य घरों में व्यापक रूप से सिंदूर की पैकिंग होती थी। छोटे-छोट कारोबारी बड़े-बड़े फैक्टियों से तैयार सिंदूर लाकर अपने घरों में पैकिंग कर फैक्टियों में पहुंचाते थे। बदले में उन्हें अच्छी खासी मजदूरी मिल जाती थी और घर से बाहर भी जाने की जरूरत भी नहीं होती थी। आजादी के बाद 80 के दशक तक सिंदूर का कारोबार लखीसराय में लघु-कुटीर उद्योग का रूप ले चुका था। 80 दशक के बाद राज्य में गिरती कानून व्यवस्था का असर जिले के सिंदूर कारोबारियों पर भी पड़ा। जिले में अपराध की बढ़ती घटना के भय से बड़े-बड़े कारोबारी अपना कारोबार समेट कर दूसरे राज्यों में शिफ्ट हो गए या फिर अपने कारोबार को सिमित करने लगे। आजादी के पहले और जिले में सबसे पहले स्थापित पुरानी बाजार के मशहुर सिंदूर फैक्ट्रिी डीभीआई बंद हो गया। सीएम ड्रोलिया के नाम से प्रसिद्ध चितरंजर रोड स्थित सिंदूर फैक्ट्री भी बंद हो गया। कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार होने के बाद सीएम ड्रोलिया सिंदूर फैक्टी तो चालू तो हो या मगर उनका कारोबार सिमित हो गया। फिलहाल लखीसराय में पांच बड़े सिंदूर फैक्ट्री सहित दर्जनों भर छोटे-छोटे कारोबारी इस कारोबार में इस काम लगे हुए है। कारोबारी मोहन बंका, अतुल सिंह, ओमप्रकाश ड्रायिला एवं विकेक ड्रोलिया ने बताया सरकार के द्वारा सिंदूर के कारोबार को कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता है। एक समय हमलोग ट्रेनों से कच्चा माल मंगवाते थे, अब केवल ट्रक से काम चल जाता है। सरकार सिंदूर के कारोबार को थोड़ा सा भी प्रोत्साहित करती है, तो इससे सैकड़ों परिवार को रोजगार मिल सकता है। सरकार के उदासीनता के कारण एक समय सिंदूर के लिए मशहूर लखीसराय अपनी पहचान धीरे-धीरे खोती जा रही है।

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