आरटीई के तहत 25 प्रतिशत हुए नामांकन की जांच के लिए कमेटी गठित : डीएम
आरटीई के तहत 25 प्रतिशत हुए नामांकन की जांच के लिए कमेटी गठित : डीएम

लखीसराय, एक प्रतिनिधि। समाहरणालय स्थित कार्यालय कक्ष में सोमवार को जिला पदाधिकारी मिथिलेश मिश्र द्वारा राईट टू एजुकेशन को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कई महत्वपूर्ण जानकारी दिए। उन्होंने कहा कि बीते कुछ सालों से प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की अनुदान राशि स्कूलों को नहीं मिला रही है। विद्यालय में नामांकित 25 प्रतिशत छात्रों में गरीब तबके के लोगों को पढाई कराने के लिए सरकार अनुदान दे रही है। जो विद्यालयों को आवश्यक रूप से मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि निजी स्कूल भी शिक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। लखीसराय जिले में 150 निजी स्कूल हैं जिन्हें सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है। विभागीय नियम के अनुसार, शिक्षा के अधिकार के तहत 25 प्रतिशत सीटें गरीब बच्चों और वंचित वर्गों के बच्चों के लिए आरक्षित है। जिसमें बच्चों का दाखिला कंप्यूटराइज्ड लॉटरी सिस्टम के माध्यम से किया जाता है। आरटीई का मुख्य उद्देश्य वंचित वर्गों के बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा प्रदान करना और समाज में समरसता लाना है। बच्चों को मुफ्त किताबें और पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए सरकार हर साल निजी स्कूलों को 11,500 रुपये प्रदान कर रही है। विभागीय नियमों के तहत, निजी स्कूलों को पिछले पांच वर्षों में दी गई सहायता राशि नहीं मिला है। डीएम ने कहा कि एक समिति का गठन किया है जिसमें उनके अलावा एडीएम, डीईओ, डीपीओ के अलावा एक अन्य पदाधिकारी को रखा गया। कमिटी चार जनवरी से सभी निजी स्कूलों का निरीक्षण करेगी। समिति की सिफारिश के आधार पर, जिला अधिकारी निजी स्कूलों को प्रतिपूर्ति राशि देने की अनुशंसा करेंगे। इससे पहले दो जनवरी को मंत्रणा कक्ष में निजी विद्यालय के संचालकों के साथ बैठक होगी। बैठक में निरीक्षण के दौरान मांगी जाने वाली प्रतिवेदन के बारे में सभी को जानकारी दिया जायेगा। इसके अलावा, शिक्षा के अधिकार कोटे से पढ़ रहे बच्चों के माता-पिता से अनुरोध है कि वे उस दिन स्कूल पहुंचें जब निरीक्षण किया जाएगा। जांच टीम और प्रशासनिक विभाग उस दिन स्कूल में जाकर बच्चों और उनके अभिभावकों से बातचीत करेंगे ताकि यह सत्यापित किया जा सके कि शिक्षा के अधिकार के तहत दाखिला पाने वाले बच्चों से किसी प्रकार की ट्यूशन फीस नहीं ली जा रही है। स्कूल द्वारा उन्हें पाठ्य पुस्तकें, ड्रेस या अन्य सुविधाएं प्रदान की गई हैं या नहीं, इसका भी सत्यापन किया जाएगा। यदि किसी प्रकार की सुविधाएं दी गई हैं तो इसका प्रमाण, फोटो या विभागीय गवाही होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं है, तो यह जानकारी सत्यापन अधिकारी को दी जा सकती है ताकि पूरी समिति इस पर विचार कर उचित कार्रवाई कर सके। डीएम ने कहा की शिक्षा विभाग के सभी पदाधिकार्यों को प्रशिक्षण दिया गया।
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