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स्नान दान की अमावास्या पर लोगों ने लगाई गंगा में डुबकी

बड़हिया, एक संवाददाता। माघ महीने की कृष्णपक्ष अमावास्या अर्थात मौनी अमावास्या के मद्देनजर शनिवार...

स्नान दान की अमावास्या पर लोगों ने लगाई गंगा में  डुबकी
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,लखीसरायSun, 22 Jan 2023 12:11 AM
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बड़हिया, एक संवाददाता। माघ महीने की कृष्णपक्ष अमावास्या अर्थात मौनी अमावास्या के मद्देनजर शनिवार को अल सुबह से ही नगर के गंगा तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। रेल व विभिन्न निजी सवाड़ी गाड़ियों से पहुंचे सैकड़ों महिला पुरुष श्रद्धालुओ द्वारा स्नान ध्यान और दान की प्रक्रियाएं जारी रही। इस दौरान गंगा के कॉलेज घाट पर उमड़े भीड़ सुबह के ठंड पर भाड़ी दिखे। हर उम्र के लोग स्नान बाद सूर्यदेव को अर्घ्य और गंगा की पूजा अर्चना करते दिखे। स्नान बाद ठंड से राहत और शरीर को गर्माहट के लिए तट पर आग की व्यवस्थाएं की गई थी। स्थानीय समेत आसपास के जिले से पहुंचे साधु संत व महात्माओं द्वारा गंगा तट पर धुनी जमाकर भजन पूजन किये गए। पौराणिक मान्यता अनुसार माघ महीने की अमावस्या को स्नान दान की विशेष तिथि के रूप में चर्चा है। इस दिन स्नान से पूर्व मौन व्रत रखे जाने का महत्व शामिल है। जिस अनुरूप काफी श्रद्धालुओं द्वारा मौन व्रत का पालन किया जाता रहा। इस दिन महादेव और जगत प्रतिपालक विष्णु की पूजा अर्चना का विधान है। कथाओं के अनुरूप इस दिन के स्नान में मोक्ष और पुण्य फल की प्राप्ति निहित है। गंगा स्नान कर श्रद्धालुओं द्वारा नगर स्थित जगदम्बा मंदिर समेत अन्य मंदिरों और देवालयों में पूजा अर्चना की गई। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो मौनी अमावास्या अर्थात माघ मास की अमावस्या के दिन गंगा का जल अमृतमय होता है। जिस कारण इस दिन गंगा स्नान का सर्वाधिक महत्व है। धर्मप्रेमियों ने बताया कि स्कंद पुराण में बताया गया है कि मुनि शब्द से मौनी शब्द की उत्पत्ति हुई है। मौनी अमावस्या के दिन व्रत के साथ मौन रखा जाता है। जिससे व्यक्ति का आत्मबल मजबूत होता है। ऐसी भी मान्यता है कि मौनी अमावास्या के दिन ही प्रथम पुरुष मनु का जन्म हुआ था।

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