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बच्चों को शिक्षा और संस्कार देना माता-पिता का कर्त्तव्य

शहर के पीबी हाई स्कूल प्रांगण में चल रहे श्रीमद भागवत पुरान कथा व ज्ञान गंगा यज्ञ के दौरान हरिद्वार से पधारे आचार्य बाल व्यास सुजीत भारद्वाज जी महराज ने प्रवचन के दौरान कहा कि बच्चों को अच्छी शिक्षा...

बच्चों को शिक्षा और संस्कार देना माता-पिता का कर्त्तव्य
हिन्दुस्तान टीम,लखीसरायSun, 11 Jun 2017 10:59 PM
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शहर के पीबी हाई स्कूल प्रांगण में चल रहे श्रीमद भागवत पुरान कथा व ज्ञान गंगा यज्ञ के दौरान हरिद्वार से पधारे आचार्य बाल व्यास सुजीत भारद्वाज जी महराज ने प्रवचन के दौरान कहा कि बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कार देना माता-पिता का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि बच्चे 10 से 12 साल तक ही अच्छी बातें सीख सकतें हैं। जो अपने मां -बाप का अपमान करते हैं उन्हें अपने बच्चों से भी अपमानित होना पड़ता है। बच्चे वहीं सीखते हैं जो उनके मां बाप करते हैं। बाल व्यास ने कहा कि बच्चों को ऐसी शिक्षा दीजिए कि मन में भक्ति आ जाए। अगर घर के बच्चे सुधर गए तो आसपास मुहल्ले के बच्चे सुधर जाएंगे। फिर धीरे धीर अन्य बच्चें में भी सुधार आ जाएगा। आचार्य सुजीत ने कहा कि आज कल के बच्चे घरों में बड़े काम को करने के पहले बड़ों से सलाह मुशिवरा लेना उचित नहीं समझते हैं। बड़ों का सम्मान नहीं करते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जैसा कर्म करोंगे वैसा ही फल मिलेगा। महरीाज ने बृन्दावन को साक्षात भगवान का घर बताते हुए कहा कि वह प्रेम की नगरी है। गोपियों ने कन्हैया से प्रेम किया था। घरों में प्रेम का माहौल बनाओ और घर को ही बृंदावन बना लो। प्रेम से कुछ भी जीता जा सकता है। अगर प्रेम है तो भगवान से कुछ करवाया जा सकता है। आचार्य सुजीत ने कहा कि भगवान के घर गंदगी ने फैलाओ। सेवा भाव से एवं मन से होती है। सेवा पूछ कर नहीं होती। उन्होंने कहा कि भागवत कथा को सुनने के बाद लोग सीधे गाविंद के पास चले जाते हैं। भागवत कोई ग्रंथ नहीं बल्कि साक्षात भगवान है। मैं तो रटु- रटु राधा राधा नाम, बिरज की गलियों में संगीत मय गीत के माध्यम से उन्होंने वंृदावन का दर्शन कराया। भागवत कथा लोगों की भीड़ भजन सुनने को उमड़ पड़ी।

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