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चानन के पुस्तकालयों में नयी किताबें नहीं

नक्सल प्रभावित चानन प्रखंड के सभी लाइब्रेरी सरकारी एवं प्रशासनिक उदासीनता के शिकार हो रहे हैं। पुस्तकालय में नयी-नयी पुस्तकें तो दूर दैनिक समाचार पत्रों का भी अभाव हो गया है। अल्प आय भोगी एवं पिछड़ी...

चानन के पुस्तकालयों में नयी किताबें नहीं
हिन्दुस्तान टीम,लखीसरायSun, 10 Dec 2017 09:04 PM
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नक्सल प्रभावित चानन प्रखंड के सभी लाइब्रेरी सरकारी एवं प्रशासनिक उदासीनता के शिकार हो रहे हैं। पुस्तकालय में नयी-नयी पुस्तकें तो दूर दैनिक समाचार पत्रों का भी अभाव हो गया है। अल्प आय भोगी एवं पिछड़ी जाति बाहुल्य चानन प्रखंड में पुस्तकों के प्रेमी बहुत है, परन्तु सरकार की उदासीनता की वजह से यहां के पुस्तकालयों की हालत खस्ता हो चुकी है।

06 दिसम्बर 2003 को सदर प्रखंड लखीसराय से अलग कर सरकार द्वारा भले ही चानन प्रखंड का दर्जा दे दिया गया है, परन्तु विकास के नाम पर यहां अब तक कुछ भी नहीं हो सका है। इस प्रखंड में वर्षों पुराना बिछवे गांव की पुस्तकालय में 1970 से पुस्तकें नहीं आ रही है। पुरानी पुस्तकें सड़ चुकी है।

यहां के नौजवान आपस में चंदा कर दैनिक समाचार पत्र मंगाकर पढ़ते और पढ़ाते हैं। बिछवे के अलावा भलूई ग्राम में समाज के प्रतिष्ठित एवं धनाठ्य रोशन महतो ओर भोला महतो के संयुक्त प्रयास से वर्ष 1952 में पुस्तकालय का निर्माण हुआ था। इस गांव के लोगों की जागरूकता तथा साहित्य के प्रति उनके लगाव की वजह से हाल के वर्षों तक स्थिति अच्छी रही। परन्तु अब इतिहास के पन्ने बन कर रह गया है।

यही हाल रेउटा एवं बसुआचक गांव में स्थित पुस्तकालय का है।

सिंहचक गांव में हंसवाहिनी साहित्य परिषद नामक पुस्तकालय में बहुमूल्य पुस्तकों की भरमार थी लेकिन रख रखाव बेहतर नहीं रहने की वजह से सभी किताबों को दीमक चट कर गये। भंडार में पुस्तकालय की हालत काफी जर्जर है। दो दशक पूर्व पुस्तकालय का संचालन गांव के अमीरक महतो, परमेश्वर पासवान, बालेश्वर महतो व राजेन्द्र पासवान द्वारा किया जाता था, परन्तु परमेश्वर पासवान व राजेन्द्र पासवान के निधन के बाद लोगों का मोह भंग होते चला गया। वर्तमान में यहां समाचार पत्र आना भी दुर्लभ हो गया है।

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