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कोरोना ने कराया रिश्तो की अहमियत का एहसास कोरोना ने कराया रिश्तो की अहमियत का एहसास कजरा। एक संवाददाता कोरोना के कारण व्यवस्था द्वारा लगाई गई...

कोरोना ने कराया रिश्तो की अहमियत का एहसास
कजरा। एक संवाददाता
कोरोना के कारण व्यवस्था द्वारा लगाई गई बंदिशों ने रिश्तो की अहमियत का एहसास ही नहीं कराया है, बल्कि घरों में बुजुर्गों की मौजूदगी के सुखद अनुभव भी करा रहा है। बदलते परिवेश में घरों में वृद्ध जनों का बढ़ता अकेलापन एक सामाजिक विडंबना रही है। कोरोना आपदा के दौर में स्वजनों में नजदीकियां बढ़ी हैं। दादा-दादी के साथ बच्चों ने खूब खुशी के पल बिताए। बुजुर्गों के लिए यह अनुभूति आनंद के क्षण लेकर आई। इंडोर गेम में बच्चों के साथ खेलते बुजुर्गों का बचपन लौटा नजर आया। परिवारों के साथ खुशनुमा वातावरण ने उन बुजुर्गों को भी मानसिक व आत्मिक मजबूती दी जो वृद्धावस्था की बीमारियों से जूझ रहे हैं। युवा दंपतियों ने भी माना कि बुजुर्ग घर परिवार की नींव हैं जिनके अनुभव और सीख ने जीवन को मुश्किलों में संभालने के रास्ते बताए हैं। पूछे जाने पर कई दंपतियों ने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान व्यवस्था द्वारा लगाई गई बंदिशों ने दिनचर्या में व्यापक बदलाव लाया है। हम लोगों को अब अपने परिवार के साथ ज्यादा समय देने का अवसर मिल रहा है।बच्चों के साथ कैरम बोर्ड, चौपड़ आदि खेल कर समय बिता रहे हैं। वहीं बच्चे दादा-दादी के संग ढेर सारी बातें कर, कहानियां सुन अपने समय को व्यतीत कर रहे हैं। ऐसा करने से घर से बाहर निकलने की झुंझलाहट ही कम नहीं हुई है, बल्कि परिजनों में व्यवहारिक सकारात्मकता भी बढ़ गई है।
वहीं व्यापारी दिलीप कुमार, कृष्णनंदन पंडित, बाल्मीकि दास आदि ने बताया कि कोरोना के कारण बिजनेस की गतिविधियां कम हुई है। बच्चों के भी स्कूल बंद हो गए हैं। जीवन में आई आफत में दादा-दादी ने परिवार के हौसला को बढ़ाया है। विकट परिस्थिति में मम्मी पापा ने मानसिक स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित किया।बच्चों के साथ कभी ताश खेल कर तो कभी लूडो खेल कर उनके मन को शांत रखने में मदद की। बुजुर्गों से मिली भावनात्मक ऊर्जा परिवारों के लिए अनमोल है।बुजुर्गों की मौजूदगी परिवारों को सुदृढ़ बनाती है। यह सत्य है कि कोरोना संक्रमण के कारण लगाई गई बंदिशों से व्यापार में आई कमी ने हमलोगों की बेचैनी बढ़ाई है। ऐसे में बुजुर्ग माता-पिता ने धैर्य से रहने की बात कही। जिसका सकारात्मक असर भी हुआ है।
5 महीने से नहीं मिला वेतन
कजरा। मानव बल को पिछले 5 महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण उनकी माली हालत लगातार खराब होती जा रही है। मानव वालों ने बताया कि वर्षा पावर कंस्ट्रक्शन के अधीन मानव बल एसबीओ के रूप में कार्यरत है। पिछले 5 महीने से वेतन का भुगतान नहीं किए जाने के कारण उनके सामने आर्थिक तंगी छा गई है। उन्होंने जिला प्रशासन से शीघ्र से शीघ्र वेतन भुगतान किए जाने की गुहार लगाई है।
वैवाहिक कार्यक्रमों में सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर उड़ रही धज्जियां
कजरा। एक संवाददाता
भले ही कोरोना से पूरा देश प्रभावित है और सरकार ने इसके संक्रमण को कम करने के लिए तरह-तरह के नियम कानून बनाई है, लेकिन यहां शादी विवाह के कार्यक्रमों में कोरोना के प्रति जागरूकता में लगातार कमी आ रही है और लापरवाही का खुला खेल हो रहा है। मानो अब ऐसा लगता है कि जैसे कोरोना का असर समाप्त हो गया हो। लोग मनमानी और लापरवाही खुलेआम कर रहे हैं जिसमें जिम्मेदार लोग भी मौन साधे हुए हैं। हकीकत यह है कि संक्रमण के मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं और मौतें भी हो रही हैं। लेकिन लोगों को जैसे इसका खौफ एकदम खत्म हो गया हो। इस समय शादियों का सीजन चल रहा है। जहां पर लोग अपनी खुशी और मौज मस्ती के आगे सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का जमकर अवहेलना करने से बाज नहीं आ रहे हैं और केवल लापरवाही और मनमानी करने पर तुले हुए हैंः जगह-जगह आयोजित हो रही शादी समारोहों में जमकर कोविड-19 के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। शादी समारोह में आए लोगों द्वारा न ही मुंह पर मास्क लगाया जा रहा है और न ही सोशल डिस्टेंसिंग नियमों का पालन किया जा रहा है।बारातियों की संख्या नियम कानून का खुला उल्लंघन कर रही है जिसके कारण कोरोना का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। जबकि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग नियमों का पालन करना ही एकमात्र उपाय सुझाया गया है। ऐसे में कोरोना काल में लापरवाही बरतना केवल खुद के लिए ही नहीं अन्य लोगों के जीवन को भी संकट में डाल सकता है।
फोटो कजरा- 1- शादी समारोह में उपस्थित महिलाएं
आवारा पशु फसलों को पहुंचा रहे नुकसान
कजरा।कजरा एवं पीरी बाजार थाना क्षेत्र के गांवों में तेजी से आवारा पशुओं की संख्या बढ़ रही है।पहले भी यहां दर्जनों की संख्या में आवारा पशु इधर-उधर घूमते रहते थे।आवारा पशुओं के इधर उधर घूमने से फसलों को खासा नुकसान पहुंच रहा है। किसानों को इनसे फसलों की रखवाली करनी पड़ रही है।पूरी रात खेतों में डट कर रहना पड़ रहा है।
गर्मी व उमस ने बढ़ाई बेचैनी, जनजीवन अस्त-व्यस्त
कजरा। एक संवाददाता
लगातार जारी भीषण व उमस भरी गर्मी ने लोगों के जीवन को बेहाल कर दिया है। धूप की तपन और गर्म हवाओं से लोग परेशान हैं। इस उमस भरी गर्मी से बच्चों, बुजुर्गों सहित युवाओं का भी बुरा हाल है। धूप में घर से बाहर लोग कपड़े से मुंह ढक कर व छाता लेकर निकल रहे हैं।गर्मी से बचने के लिए लोग लोग नींबू का शिकंजी, शरबत, खीरा आदि ठंडे पेय पदार्थ ले रहे हैं। लोग बेसब्री से बारिश का इंतजार कर रहे हैं। गर्मी इतनी है जिसके आगे पंखा,कूलर व वातानुकूलित उपकरण भी फैल हो जा रहे हैं। सुबह से ही आसमान से आग बरसने शुरू हो जा रहे हैं। जैसे-जैसे दिन चढ़ता जा रहा है गर्मी का प्रकोप भी उसी अंदाज में बढ़ता जा रहा है। सबसे अधिक दिक्कत बच्चों और बुजुर्गों को हो रही है।
धूप से फसलें भी हो रही प्रभावित
चिलचिलाती धूप से जहां लोगों को काफी कष्ट हो रहा है वहीं फसलें भी मुरझाने लगे हैं। तेज धूप से जमीन की नमीं गायब हो गई है। किसानों को अपनी फसलों को बचाने के लिए सिंचाई करना पड़ रहा है। जिससे उन्हें अतिरिक्त खर्च का बोझ वहन करना पड़ रहा है। बारिश के नहीं होने से फसलें भी प्रभावित हो रही हैं।
बिजली भी दे रही धोखा
इस भीषण गर्मी में बिजली भी लोगों की परीक्षा ले रही है। बिजली के बीच-बीच में छोटे कट आग में घी का काम कर रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति और भी बदतर है। ऐसी स्थिति में इस भीषण गर्मी में कई लोगों की दिनचर्या ही बदल गई है। लोगों का कहना है कि प्रकृति के आगे तो सभी मजबूर हैं लेकिन विभाग को बीच-बीच में विद्युत आपूर्ति कट पर रोक लगाना चाहिए।
