सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित जमीन बना अभिशाप
विकास के मानकों में शामिल सड़क निर्माण के लिए किसानों से अधिग्रहित किये गए जमीन वर्षों से अभिशप्त होने को मजबूर हैं। मामला दशक पूर्व रामपुर डुमरा से...

बड़हिया।एक संवाददाता
विकास के मानकों में शामिल सड़क निर्माण के लिए किसानों से अधिग्रहित किये गए जमीन वर्षों से अभिशप्त होने को मजबूर हैं। मामला दशक पूर्व रामपुर डुमरा से तहदिया तक के लिए चिह्नित 8 किलोमीटर लंबे एनएच 80 बायपास का है। विभिन्न कारणों से ठंडे वस्ते में जा चुके इस निर्माण में शामिल किसान खुद को ठगे महसूस करने को मजबूर हैं। हो भी क्यों नहीं? सरकारी घोषित हो चुके जमीन को लेकर न किसानों को मुआवजा मिला, और न ही जमीन वापस किये जा रहे हैं। विदित हो कि बनने वाले इस बायपास सड़क के लिए वर्ष 2011 में गजट और 2012 में परिवहन विभाग द्वारा थ्रीडी गजट प्रकाशित किया गया था।
चिह्नित मार्ग में अवस्थित भूस्वामीयों से जमीन अधिग्रहित किये गए। परन्तु मुआवजे के लिए निर्धारित राशि के दौरान जमीन के प्रकार में हुए हेर फेर के बीच न्यायालय तक कि दौड़ ने निर्माण को खटाई में डाल दिया। वर्षो से निर्माण और मुआवजे से वंचितों में शामिल बड़हिया के धनराज टोला निवासी रामनरेश सिंह के पुत्र राममूर्ति कुमार ने एनएचएआई के महाप्रबंधक से अपने जमीन पर स्वामित्व और भवन निर्माण को लेकर आरटीआई दायर किया। जिसके जवाब के लिए जिला भूअर्जन पदाधिकारी को उत्तरदायित्व दिया गया। प्राप्त उत्तर दायित्व के उपरांत भू अर्जन विभाग द्वारा भू स्वामियों को स्वयं के जमीन पर किसी प्रकार के नव निर्माण से साफ मना कर दिया गया है। प्राप्त आरटीआई में स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि परिवहन विभाग द्वारा सड़क निर्माण के लिए चिह्नित किये गए वैसे स्थल जिनके लिए थ्रीडी गजट प्रकाशित हो चुका है। उनकी खरीद बिक्री या उस पर किसी प्रकार का निर्माण अवैध और गैरकानूनी है। आवेदक की मानें तो आरटीआई से मिले जवाब के विरुद्ध रैयतो का एक जनसमुह जमीन मुक्ति के लिए पटना उच्च न्यायालय में वाद दायर करने जा रहा है। जिसमें अभी तक के लिए अधिग्रहित भूमि के लिए मुआवजे की भी माँग की जाएगी।
