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लखीसराय: धान की फसल को गलसा रोग, किसानों की बढ़ी चिंता

धान का कटोरा कहे जाने वाले हलसी व रामगढ़ चौक प्रखंड में धान की खेती कर रहे किसानों की चिंता अत्यधिक बारिश के कारण बढ़ गई है। फसलें बर्बाद होने लगी है। इस परेशानी से अभी किसान उबर भी नहीं पाए हैं कि...

लखीसराय: धान की फसल को गलसा रोग, किसानों की बढ़ी चिंता
हिन्दुस्तान टीम,लखीसरायThu, 01 Oct 2020 07:23 PM
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धान का कटोरा कहे जाने वाले हलसी व रामगढ़ चौक प्रखंड में धान की खेती कर रहे किसानों की चिंता अत्यधिक बारिश के कारण बढ़ गई है। फसलें बर्बाद होने लगी है। इस परेशानी से अभी किसान उबर भी नहीं पाए हैं कि अचानक गलसा रोग के कीड़ों का प्रकोप बढ़ गया। बाजार में मिलने वाले कीटनाशी दवा का प्रभाव भी इन कीड़ों पर नहीं हो रहा है। किसानों का कहना है कि इस बीमारी में पौधे के बीच वाली पत्ती गलने लगती हैं और पौधे धीरे-धीरे सूख जाते हैं।

दोनों प्रखंड के किसानों की प्रमुख फसल धान है। इस बार शुरुआती काल से ही बारिश शुरू होने के कारण किसानों ने समय पर रोपनी का काम पूरा कर लिया था। उन्हें मौसम का बेहतर साथ मिलने के कारण इस बार कम लागत पर अच्छी उपज की उम्मीद थी। अपेक्षा से अधिक के साथ लगातार बारिश से फसल इसकी भेंट चढ़ने के कगार पर आ गई है। जो बची है उसे बीमारी बर्बाद कर रही है।

अब बाली निकलने का था समय

किसानों का कहना है कि अब जब धान में बाली निकलने का समय आ गया है, तो बीमारी ने हमला बोल दिया है। जिससे उन लोगों को मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। किसान भास्कर शर्मा, लक्ष्मण महतो, गोवर्धन यादव आदि बताते हैं कि हरे-भरे और जवान दिखने वाले धान के पौधे को यह रोग एक सप्ताह में झुलसा देता है। इस पर हमला पौधों के बीच वाली पत्ती से होता है। जब तक किसान कुछ समझ पाते, तब तक पौधा ही गल जाता है। इसका फैलाव काफी तीव्रता से होता है। इससे पूर्व भी धान की फसल में रोग लगता था, लेकिन कीटनाशक के प्रयोग से रोग भाग जाता था परंतु इस बार कीटनाशक का भी प्रभाव इस पर नहीं पड़ रहा है।

बीच वाली पत्ती से शुरू होती है बीमारी

हलसी कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ शंभू राय ने बताया कि धान में लगने वाला यह रोग गलसा कहलाता है। बीच वाली पत्ती से यह बीमारी शुरू होती है, जो पौधे को सूखा देती है। इस रोग के लगने की मुख्य वजह बीजोपचार नहीं करना है। बीजोपचार से इस रोग के लगने के आसार कम हो जाते हैं तथा पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि इस रोग से बचाव के लिए किसानों को हेक्सापोनाफोल 5टीएन, प्रोफेनोफॉस 50टीएन, नाइट्रोवेजन 35टीएन 2 मिली तथा सर्फ एक्सल एक ग्राम प्रति लीटर पानी में डालकर घोल तैयार कर छिड़काव करने से फसल में लगे कीड़े 24 घंटे के अंदर मर जाते हैं। किसानों को चाहिए कि इस मिश्रण का छिड़काव दोपहर 12 से पहले दो बजे के बाद करना चाहिए। एक एकड़ खेत में 100-120 लीटर पानी में घोल तैयार कर छिड़काव करना चाहिए।

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