पल भर में उजड़ गया आरती का सुहाग
कितने अच्छे थे, ये कैसे मर सकते है, हे भगवान! हम कैसे जिएंगे, आंख खोलो, भला अच्छा इंसान इतनी जल्दी कैसे मर सकता...
कितने अच्छे थे, ये कैसे मर सकते है, हे भगवान! हम कैसे जिएंगे, आंख खोलो, भला अच्छा इंसान इतनी जल्दी कैसे मर सकता है।
हमसफर के चेहरे पर हाथ फेरकर सिसकियां भरते हुए आरती लडखड़ाती जुबान से जितने बार ये आवाज निकलते वहां मौजूदा हर लोगों की आंखों से आंसू निकलते । आंख से लगातार बह रहे आंसू वहां के माहौल को पूरी तरह गमगीन बना दिया । पति के शव को देखकर बार -बार यही कह रही थी अब किसके सहारे जिन्दगी जीवे हो केकरा हमर बच्चवा कहते बाबू हो। पत्नी आरती चानन पुलिस के समक्ष रोए जा रही थी- केकरा सहारे रहवे हो मिरवा। इधर, बहन व परिजन के चित्कार एवं पत्नी की बेदना वहां के माहौल का पूरी तरह गमगीन बना दिया था।
चित्कार में गमगीन हुआ गांव का माहौल: मलिया नदी से जैसे ही रविवार की सुबह शव को ऊपर लाया गया लोगों की हुजूम एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़ा। कारू की पत्नी आरती देवी, पुत्री रीता कुमारी, सीता कुमारी, सरस्वती कुमारी के अलावा ग्रामीण महिलाओं की चित्कार से पूरा माहौल गमगीन हो गया।