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भक्ति का संबंध मन से होता है, तन से नही: संत

साधना एवं भक्ति के मार्ग पर बहुत अधिक चलने की आवश्यकता नहीं होती, भगवान शीघ्र मिल जाते हैं।उक्त बातें मां बाला त्रिपुरसुंदरी जगदम्बा मंदिर बड़हिया के भक्त श्रीधर सेवाश्रम में चल रहे नौ दिवसीय श्री राम...

भक्ति का संबंध मन से होता है, तन से नही: संत
हिन्दुस्तान टीम,लखीसरायWed, 26 Dec 2018 12:03 AM
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साधना एवं भक्ति के मार्ग पर बहुत अधिक चलने की आवश्यकता नहीं होती, भगवान शीघ्र मिल जाते हैं।उक्त बातें मां बाला त्रिपुरसुंदरी जगदम्बा मंदिर बड़हिया के भक्त श्रीधर सेवाश्रम में चल रहे नौ दिवसीय श्री राम कथा अमृतवर्षा के तीसरे दिन संत श्री सुधीर जी महाराज ने प्रवचन करते हुए कही । उन्होंने श्री राम जन्म के संदर्भ में नारद चरित्र का बड़ा ही मार्मिक दृष्टांत उपस्थित किया और कहा कि रामचरितमानस में नारद व सूर्पनखा दो ऐसे प्रसंग है जो रोचक के साथ साथ शिक्षाप्रद भी हैं।श्री महाराज ने नारद के माध्यम से कहा अपनी जिह्वा को कभी बहकने नहीं देना चाहिए।अपनी इंद्रियों को काबू में रखने की जरूरत है, उसे संयमित रखना चाहिए। साथ ही पद और सामर्थ्य का कभी अहंकार नहीं करना चाहिए। संत श्री ने कहा कि भक्ति शास्त्र की महिमा अपार है, भक्ति का संबंध मन से होता है,तन से नहीं और भक्ति के लिए बार—बार कथा सेवन करना चाहिए। मनुष्य को परेशानी में साधु संतों के सान्निध्य में जाना चाहिए,इससे उन्हें शांति मिलती है और कठिनाइयों से मुक्ति पाने में सहायता मिलती है।उन्होंने भगवान राम और श्रीकृष्ण के अवतरण पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान राम का प्राकट्य दिन के 12 बजे तथा भगवान श्री कृष्ण का प्राकट्य रात्रि के 12 बजे हुआ था। भगवान के जन्म के उपलक्ष्य में बधाईयां गाकर संत श्री महाराज ने भक्तों को झूमा दिया। कथा श्रवण के मौके पर अशोक कुमार,विकास कुमार,सुनील, विजय कुमार सिंह,नवीन सिंह,सुरेश सिंह,शिवबालक सिंह,दीक्षा सिंह,मदन सिंह,अरविंद कुमार सिंह,दिनेश सिंह,अजय कुमार सहित सैंकड़ों महिला एवं पुरुष श्रद्धालु उपस्थित थे।

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