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तारीख के पन्ने: गले में चोंगा लटकाकर कार्यकर्ता करते थे चुनाव प्रचार

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता  रघुनंदन हरितवाल (82) उन दिनों के चुनावी माहौल को याद करते हुए कहते हैं कि 1970 के दशक में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का क्रेज था। तब पार्टी के दिग्गज नेताओं को देखने और...

तारीख के पन्ने: गले में चोंगा लटकाकर कार्यकर्ता करते थे चुनाव प्रचार
लखीसराय | अभिषेक कुमारSun, 17 Mar 2019 09:31 AM
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता  रघुनंदन हरितवाल (82) उन दिनों के चुनावी माहौल को याद करते हुए कहते हैं कि 1970 के दशक में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का क्रेज था। तब पार्टी के दिग्गज नेताओं को देखने और सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आया करते थे। सूचना तंत्र मजबूत नहीं था, पर सभाओं में लोगों का हुजूम उमड़ता था। उस दौर में कार्यकर्ताओं को 10-15 दिन पहले नेताओं के आने की चिट्ठी मिल जाती थी। लखीसराय में इंदिरा गांधी से लेकर राष्ट्रीय स्तर के तमाम नेता चुनावी मौसम में पहुंचकर अपने प्रत्याशियों के पक्ष में वोट मांगते थे। लखीसराय में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह सहित अन्य बड़े नेताओं का आगमन 70 व 80 के दशक में हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी शेखपुरा जाने के क्रम में यहां के कार्यकर्ताओं से मिले। तब उस समय लखीसराय मुंगेर का ही एक हिस्सा हुआ करता था। 

कंधे पर हाथ रख पूछते थे हालचाल
रघुनंदन हरितवाल बताते हैं कि जब एक बार राजीव गांधी का काफिला शेखपुरा जाने के क्रम में यहां रुका था, तो उन्होंने रुककर टोपी वाले कार्यकर्ता से उनका हालचाल जाना। उनका नाम तो नहीं पता पर जब राजीव गांधी ने उनसे पूछा कि तुम कौन हो, तो उन्होंने जवाब मेें कहा कि मैं प्रखंड का महामंत्री हूं। वे गरीबों के कंधे पर हाथ रखकर भी हालचाल पूछा करते थे। सुरक्षा के भी कुछ विशेष इंतजाम नहीं होते थे। 

गांवों में पैदल घूमकर लोगों को देते थे सूचना 
पुरानी यादों को साझा करते हुए वे बताते हैं कि उस दौर में आज की तरह अधिक तामझाम नहीं होता था। बड़े नेताओं का आगमन होने से पूर्व कार्यकर्ताओं को 15 दिन पहले ही पत्र के जरिये सूचना मिल जाती थी। पैदल ही गांव-गांव घूमकर लोगों तक नेताओं के आगमन से लेकर अन्य तरह की सूचनाएं पहुंचाते थे। लोग भी नेताओं को देखने व उनका भाषण सुनने पैदल ही दूर-दूर से पहुंच जाया करते थे। श्री हरितवाल ने बताया कि उस जमाने में चुनाव प्रचार का माध्यम रेडियो व अखबार भी हुआ करता था। लेकिन बहुत से कार्यकर्ता अपने गले में चोंगा (साउंड बॉक्स)लटकाकर माइक से प्रचार किया करते थे। लोगों को अपने प्रत्याशी के पक्ष में वोट डालने की अपील करते थे।

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